सेक्स का पहाड़ा पढ़ने वाले पुरुष इसे भी जाने क्या चाहती है स्त्री
सुबह की पहली किरण के साथ शुरू और और चन्द्र की अंतिम विदाई तक ही सेक्स का पहाड़ा पढ़ने वाले पुरुष इसे भी जाने क्या चाहती है स्त्री
पुरुष की उर्जा का केंद्र मूलाधार चक्र ( कामकेंद्र) होता है ,स्त्री का उर्जा केंद्र ह्दय होता है , पुरुष की अपेक्षा स्त्री काम केंद्र से तीन चक्र उपर होती है , स्त्री की मांग हमेशा प्रेम की ही होती और पुरुष की मांग हमेशा काम की होती है ,पुरुष की उर्जा स्थूल होती है इसीलिए पुरुष हमेशा स्थूल वस्तु को एक ही झटके में उठाना , धक्का मारना ,उसके लिए सरल होता है स्त्री के लिए ममता प्रेम जैसे कार्य सरल होते है , स्त्री की साधना ह्दय से उपर उठने की होती है और पुरुष की साधना काम से ह्दय की ओर उठने की होती है वे मुर्ख गुरु है जो पुरुषो की साधना स्त्रियों को कराते है ! एसा भी नही की स्त्री भी काम केंद्र स्थिर नही होती होती है लेकिन उसकी संख्या कम और पुरुषो की स्थति ठीक विपरीत होती है ! जो स्त्री काम केंद्र पर स्थिर होती है उसे हमेशा पर पुरुष अच्छे लग सकते है इसी लिए किसी भी स्त्री को परपुरुष गमन अपवित्र समझा है और पुरुष हमेशा परस्त्री की ही ताक में बेठे हुए होते है अपनी पत्नी चाहे कितनी भी सुंदर हो लेकिन कामुक स्त्री की और ज्यादा आकर्षित होंगे क्योकि उसका काम आवेग वह कामुक स्त्री ही बढ़ा सकती है
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