मानव लिंग का आकार एक रिपोर्ट



एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लिंग के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्‍ट भी बनाई गई है। इस लिस्‍ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्‍ट में 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्‍हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का 'औसत साइज' 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं।
साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे 'स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट' के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लिंग के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ. शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी।
हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 'आर' के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई
रिचर्ड के सर्वे पर सवाल
डॉ. रिचर्ड द्वारा जारी डाटा के मुताबिक भारतीय पुरुषों के लिंग की औसत लंबाई चार इंच है। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट का आधार आईसीएमआर के सर्वे को बनाया है। इसलिए इस सर्वे को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। द ओपेन मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे ही विश्वसनीय नहीं थे। तो फिर इसे आधार बना कर किया गया कोई और सर्वे कैसे विश्‍वसनीय हो सकता है?
आईसीएमआर के सर्वे को बेहतर रेस्पांस नहीं मिल पाया था क्योंकि भारत में कोई भी पुरुष इस तरह के सर्वे के लिए तैयार हो जाये यह बात भी आसान नहीं है। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ० आर०एस० शर्मा के मुताबिक सर्वे के लिए आंकड़े इकट्ठा करने में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डॉ० शर्मा ने साल 2001 में आँकड़े इकट्ठा करना शुरू किया था। उन्हें इसमें पाँच साल लग गये थे। डॉ० शर्मा कहते हैं-"भारतीय पुरुषों के लिंग का औसत साइज निकालना बाकी देशों से भिन्न है क्योंकि यहाँ अलग-अलग जाति और नस्लों के लोग रहते हैं।" डॉ० शर्मा की टीम ने सात सेंटरों- पटना, गुवाहाटी, कटक, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और हुबली में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज के सैंपल इकट्ठे किये थे।
सर्वे और उसकी मुश्किलें
चंडीगढ़ में डॉ० एस के सिंह ने यह सर्वे किया था। डॉ० सिंह 220 पुरुषों का सैंपल लेने में कामयाब रहे थे। पुरुषों के अंग का साइज मापने के लिए एक किट बनाई गई थी जो अंग की मोटाई और लंबाई मापती थी। इसमें दो पेपर स्ट्रिप थी जिनसे माप लिया जाता था। एक पुरुष के कम से कम तीन माप लिए जाते थे और फिर औसत को अंतिम माप मान लिया जाता था।
पुरुषों के अंग का माप लेना भी एक बड़ी समस्या थी। पहले आईआईटी खड़गपुर के एक प्रोफेसर ने अंग का माप लेने के लिए एक डिजिटल कैमरा विकसित किया लेकिन महँगा होने के कारण इसे अपनाया नहीं गया था। कई व्‍यावहारिक दिक्‍कतें भी पेश आई थीं। पहले तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए तैयार करना ही मुश्किल था। अगर किसी तरह तैयार भी किया जाता था तो माप देते वक्‍त वे सहज नहीं हो पाते थे। उन्‍हें इसके लिए बोल्‍ड मैग्‍जीन आदि दिखा कर तैयार किया जाता था। शादीशुदा पुरुषों को अपनी पत्नी को साथ लाने की इजाजत दी गई थी। इसके बावजूद सही माप लेने में कई मुश्किलें आती थीं। चंडीगढ़ में सर्वे करने वाले डॉ० सिंह तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए देशहित तक का वास्ता देते थे।
सर्वे में शामिल अहम देशों का औसत साइज
रिपब्लिक ऑफ कांगो - 7.1 इंच,
इक्वाडोर- 7 इंच,
घाना - 6.8 इंच,
कोलंबिया - 6.7 इंच,
आइसलैंड - 6.5 इंच,
इटली - 6.2 इंच,
दक्षिण अफ्रीका - 6 इंच,
स्वीडन - 5.9 इंच,
ग्रीस - 5.8 इंच,
जर्मनी - 5.7 इंच,
न्यूजीलैंड - 5.5 इंच,
यू०के० - 5.5 इंच,
कनाडा - 5.5 इंच,
स्पेन - 5.5 इंच,
फ्रांस - 5.3 इंच,
ऑस्ट्रेलिया - 5.2 इंच,
रूस - 5.2 इंच,
यूएसए - 5.1 इंच,
आयरलैंड - 5 इंच,
रोमानिया - 5 इंच,
भारत- 5 इंच,
चीन - 4.3 इंच,
थाइलैंड - 4 इंच,
दक्षिण कोरिया - 3.8 इंच,
उत्तर कोरिया - 3.8 इंच
कोच्चि की अलग कहानी
कोच्चि में भी औसत साइज मापने के लिए एक सर्वे किया गया था। इसमें 301 लोग शामिल हुए थे और इसके नतीजे सन 2007 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंपोटेंस रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। इस सर्वे को सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉ० के० प्रोमुदु ने किया था। डॉ० प्रोमुदु के सर्वे के मुताबिक औसत साइज 5.8 इंच लंबा पाया गया। हालांकि उन्होंने सर्वे सिर्फ केरल में किया था इसलिए इसे समूचे भारत का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। लेकिन यदि डॉ० प्रोमुदु के सर्वे को यदि मानक माना जाए तो इस सूची में भारत चीन समेत कई देशों से ऊपर हो जाता है।
इस तरह डॉ० लिन की रिसर्च में कई खामियाँ नजर आती हैं। लेकिन उनकी रिपोर्ट इस बात पर रोशनी जरूर डालती है कि दुनिया के अलग-अलग इलाकों के पुरुषों के 'साइज' में इतना फर्क क्यों हैं। उन्‍होंने इसे मानव जाति के विकास से जोड़ा है। उनके मुताबिक प्राचीन काल में पुरुषों में महिलाओं को गर्भवती कर अपनी नस्ल के विकास की होड़ रहती थी। इस होड़ में अपेक्षाकृत लंबे प्राइवेट पार्ट वाले पुरुष बाजी मार लेते थे। लेकिन जैसे-जैसे पुरुष जाति ने अफ्रीका से यूरोप, एशिया और अन्य द्वीपों में पलायन किया, उनके बीच महिलाओं को गर्भवती करने की होड़ कम हो गई। इस कारण से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन नाम का हारमोन भी कम होता गया। नतीजतन साइज छोटा होता चला गया।
डॉ० लिन की शोध के मुताबिक नीग्रॉयड्स का 'औसत साइज' 6.3 इंच होता है। ये अफ्रीका में ही रहने वाले पुरुषों के वंशज हैं जबकि कोकसॉड्स पुरुषों के मामले में यह आँकड़ा 5.4 इंच और मंगोलॉयड्स के मामले में 4.7 इंच है। ये उन पुरुषों के वंशज है जो अफ्रीका को छोड़कर यूरोप और एशिया में बस गए थे.
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लिंग बाहर निकल कर स्खलन करना कितना सही ?


1. लिंग बाहर निकल कर वीर्य स्खलन गर्भ से बचने का अचूक तरीका है
ये तरीका साधारण है, स्खलन से ठीक पहले लिंग बाहर खींच लिया जाये ताकि योनि के अंदर वीर्य न पहुंचेI ये तरीका कारगर तो हो सकता है लेकिन सौ फीसदी कामयाब नहींI
जब इससे तरीके का प्रयोग सही तरीके से किया जाये तब भी 100 में से 4 महिलाओं को गर्भ ठहर ही जाता हैI और जिन लोगों ने इस काम में दक्षता हासिल नहीं की है, उन् लोगों में गर्भ ठहरने का हर साल का प्रतिशत 27 तक पाया गयाI यदि पुरुष सही समय पर लिंग बाहर खींच भी ले तो भी गर्भ ठहरने की पूरी सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता क्यूंकि सेक्स के दौरान संभव है की थोड़ी मात्रा में वीर्य का रिसाव हो रहा हो और आप अनभिज्ञ होंI यही छोटी मात्रा का रिसाव गर्भ की वजह बन सकता हैI

2 : लिंग बाहर निकल कर स्खलन करना आसान क्रिया है
यह सुनने में आसान भले ही लगता हो, लेकिन असल में उतना आसान नहीं है, खासकर उनके लिए जो हाल ही मैं ये तरीका अपनाने लगे हैंI इसके लिए दोनों साथियों में सही तालमेल की ज़रूरत होती हैI अनचाहे गर्भ के खतरे से सुरक्षा के लिए ज़रूरी है की आप कोई और विश्वसनीय तरीका अपनाएंI

3 : सही समय पर लिंग खींच लेने के लिए पुरुषों पर भरोसा किया जा सकता है
वो जोड़े जिनमे आत्म-नियंत्रण, अनुभव और विश्वास हो, इस तरीके का उपयोग सही तरीके से कर सकते हैंI अगर तीनो में से एक भी चीज़ की कमी हो तो बेहतर है की कोई और तरीका अपनाया जायेI जो पुरुष इस तरीके का प्रयोग करते हैं, उन्हें इस बात का सही अंदाज़ा होना चाहिए की कब उनका स्खलन होने वाला है, क्यूंकि गलती की गुंजाइश बहुत काम हैI इसलिए यह तरीका अनुभवहीन या शीघ्रपतन से जूझ रहे पुरुषों के लिए उपयुक्त नहीं हैI क्यूंकि अगर सही समय पर लिंग बाहर न निकला जाये तो गर्भ ठहर सकता हैI

4 : लिंग बाहर निकल कर स्खलन करना कारगर नहीं है
इस तरीके को अक्सर असरदार तरीका नहीं मन जाता जबकि सच ये है की 60 प्रतिशत जोड़ों ने इसका प्रयोग कभी न कभी ज़रूर किया हैI
हालाँकि गटमाकर संस्थान, न्यू यॉर्क द्वारा की गयी रिसर्च से पता चलता है की अगर लिंग को सही समय बाहर निकल लिया जाये तो अनचाहे गर्भ से 96 फ़ीसदी तक बचा जा सकता हैI कंडोम की मदद से इस बचाव की संख्या है 98 फीसदीI ज़्यादा फर्क नहीं, है ना?
सही तरीके से अंजाम दिया जाये तो ये अवश्य एक कारगर तरीका हो सकता हैI बात ये है की हर बार इसे सही अंजाम देना शायद आसान नहीं हैI लेकिन फिर भी, कोई तरीका इस्तेमाल ना करने से बेहतर ये तरीका ही हैI

5 : इसका प्रयोग सिर्फ गैर ज़िम्मेदार लोग करते हैं
हाल ही के एक अमरीकी अध्यन से पता चलता है की 5 फीसदी लोग गर्भ से बचाव के लिए केवल इसी तरीके का प्रयोग करते हैं, 15-44 साल की 60 फीसदी महिलाओं ने इस तरीके का इस्तेमाल कभी ना कभी किया हैI कहानी का सार ये है कि हर उम्र के लोग गर्भ से बचने के लिए इसका प्रयोग करते हैंI

6 : रिसाव वाले वीर्य में शुक्राणु नहीं होते
हर पुरुष को जाने अनजाने में थोड़ा वीर्य का रिसाव हो सकता हैI कई रिसर्च इस बात कि पुष्टि करती हैं कि रिसाव वाले वीर्य में शुक्राणु मौजूद नहीं होते, लेकिन ये रिसाव पहले के बचे हुए वीर्य के साथ बाहर आकर गर्भ का कारण बनने में सक्षम अवश्य हैI इसलिए बेहतर है कि सेक्स से पहले पेशाब किया जाये और लिंग को अच्छी तरह धोकर साफ़ किया जायेI

7 : इस तरीके के इस्तेमाल से सेक्स संक्रमण का खतरा नहीं है
नहीं! इस तरीके से सेक्स संक्रमण का खतरा पूरी तरह से हैI कंडोम ही सेक्स संक्रमण से बचने का सही तरीका हैI

8 : किसी तैयारी कि ज़रूरत नहीं
किताबी तौर पर तो किसी तैयारी कि ज़रूरत नहीं हैI लेकिन फिर भी, सेक्स से पहले यह बेहतर होगा कि पेशाब के ज़रिये बचा खुचा शुक्राणु वाला वीर्य फ्लश कर दिया जायेI लिंग को साफ़ कर लिया जायेI यदि स्खलन महिला के शरीर के ऊपर किया गया है तो उसे भी अच्छी तरह से साफ़ कर लेना ज़रूरी है.
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योनि की आत्मकथा

मैं एक 3.5 से 4 इंच लंबी और करीब 3 इंच परिधि की एक पिचकी हुई ट्यूब-नुमा नाली हूँ जिसका एक सिरा जाँघों के बीच खुलता है और दूसरा सिरा गर्भाशय से जुड़ा हुआ है। यह अंदर वाला सिरा लगभग बंद है और सिर्फ बहुत सूक्ष्म तत्व या पदार्थ ही इसके पार गर्भाशय में जा सकता है। मेरे आकार को तुम एक पिचके हुए कंडोम की तरह समझ सकते हो। मेरे अंदर की दीवारें लचीली होती हैं जिससे यौन उत्तेजना के समय मेरा आकार बढ़कर 5 से 6 इंच का हो जाता है। मेरी दीवारों में ऐसी ग्रंथियाँ होती हैं जो उत्तेजना के समय तरल द्रव्यों का प्रवाह करती हैं जिनसे मैं अंदर से नम या गीली हो जाती हूँ। ऐसा होने से मेरे अंदर पुरुष के लिंग का प्रवेश आसान हो जाता है और मुझे तकलीफ नहीं होती।

मेरे द्वार से लेकर करीब डेढ़ इंच अंदर तक मेरी दीवारों में अनेक तंत्रिकाएँ होती हैं जिनसे स्पर्श, घर्षण, दर्द या सुख की अनुभूति होती है। मेरे बाकी के अंदर के इलाके में ये तंत्रिकाएं नहीं होतीं हैं... अतः शुरू के डेढ़ इंच बाद अंदर कुछ महसूस नहीं होता।

यह बात आप को पता नहीं है... फालतू में अपने 5 इंच के उत्तेजित लिंग को छोटा समझता है। सच में, मुझे तो केवल दो-तीन इंच का लिंग भी आनंद देने के लिए पर्याप्त है। सच पूछो तो 5-6 इंच से ज्यादा लंबे लिंग तो मेरे उत्तेजित आकार से बड़े होते हैं... सो मुझे तकलीफ दे सकते हैं और गर्भाशय को चोट भी पहुंचा सकते हैं। लम्बाई से ज्यादा तो मुझे मोटे और कड़क लिंग ज्यादा पसंद हैं जो मेरी तंत्रिकाओं को प्रबलता से रगड़ पाते हैं और असीम आनंद देते हैं।
जब मैं पैदा हुई थी तो मेरा आकार करीब डेढ़ इंच लंबा था और मेरा मुंह काफी छोटा था। करीब पांच साल की उम्र तक मेरा आकार लगभग उतना ही रहा। उन दिनों जब नंगी खड़ी होती थी तो कोई भी मुझे देख सकता था क्योंकि मैं सीधी और खड़ी दिशा में, लगभग लम्बवत, (vertical) थी ... सबके सामने... मुझे कोई शर्म नहीं थी... पर जबसे मैं यौवनावस्था में क़दम रखा है तबसे मेरे ठीक ऊपर स्थित शुक्र-टीला (Mound of Venus) धीरे-धीरे पनपने लगा और उसके उभार के कारण मैं नीचे की तरफ होने लगी।

मैं सोलहवें साल के आस-पास तक मैं लगभग ज़मीन के समानांतर दिशा में, लगभग दंडवत (horizontal) हो गयी थी। इसी दौरान जब मैं बारह साल की हुई थी तब मेरे होठों के आस-पास बाल आने शुरू हो गए थे.... शुरू में बहुत ही मुलायम, काले रेशम जैसे इक्का-दुक्का बाल आये जो कि मेरे होंठों के इर्द-गिर्द उगे थे... धीरे-धीरे 3-4 साल में ये बाल घने होते चले गए और मेरे होटों को तथा मेरे आस-पास के इलाके को एक तिकोने आकार से ढक दिया। कहने का मतलब यह कि जहाँ मैं बचपन में मैं बड़ी शान से अपने आप को दिखा सकती थी, उसकी जवानी के आते-आते मैं ना केवल उसकी जाँघों के बीच, ज़मीन के समानांतर हो गई, मेरे ऊपर बालों का घूंघट सा भी आ गया। इसके फलस्वरूप औरों की बात तो दूर, खुद महिला भी नंगी होकर मुझे ठीक से देख नहीं सकती थी। उसे मेरे दर्शन करने के लिए किसी रोशन इलाके में आगे झुक कर, टांगें खोल कर, बालों का झुरमुट हटा कर एक दर्पण की ज़रूरत होती है। शायद इसीलिए उसने मुझे ठीक से देखा नहीं है

देखा जाये तो मैं जननांगों का बाहरी प्रारूप हूँ... जननांग मतलब प्रसव अथवा प्रसूति अंग या जन्म देने वाले अंग। मैं गर्भाशय तक मरदाना जीवाणु पहुँचाने का मार्ग हूँ... मेरी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि प्रकृति ने मेरी सुरक्षा के लिए दो-दो द्वार (double-door) लगाये हुए हैं... बड़े भगोष्ठ और छोटे भगोष्ठ। ये दोनों प्रायः बंद ही रहते है और बाहरी गंदगी और कीटाणुओं से मेरा बचाव करते हैं। इन दोनों होटों के बंद होने के बावजूद भी अंदर मैं पिचकी हुई ही रहती हूँ। मेरा यह पिचका रहना ना केवल बाहर के प्रदूषण से एक अतिरिक्त बचाव है बल्कि यौन संसर्ग के दौरान यह घर्षण पैदा करने का निराला तरीका है।
मेरे दो मुख्य कार्य हैं... प्रजनन तथा यौन-सुख का आदान-प्रदान। मैं यौन सुख देती भी हूँ और लेती भी हूँ। मूत्र का निर्गम भी मैं ही करती हूँ पर यह गलत है। मेरे समीप, ऊपरी भाग में और भगनासा के नीचे मूत्राशय का छेद है जहाँ से पेशाब करती है।

जहाँ छोटे भगोष्ठ ऊपर को मिलते हैं वहाँ पर शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है जिसे भगनासा (clitoris) कहते हैं। यह आकार में लगभग एक मटर के दाने के समान होती है। इसमें करीब 8000 से ज्यादा तंत्रिकाएं केंद्रित होती हैं जिस कारण यह बहुत ही मार्मिक अंग बन जाती है... इतनी तंत्रिकाएं तो पुरुष के लिंग के सुपाड़े में भी नहीं होतीं। यह इतनी मार्मिक होती है कि प्रकृति ने इसे एक घूंघट-नुमा टोपे में छुपाया होता है जिससे यह अप्रत्याशित घर्षण से बच जाये। इसे मैं पुरुष के लिंग के समरूप मानती हूँ... यह भी लिंग की ही तरह उत्तेजना पर उभर जाती है और अपने घूंघट से बाहर आ जाती है... और लिंग के सुपाड़े की ही तरह इसका स्पर्श ज़ोरदार रोमांच पैदा कर देता है। इसको छूने से या हल्के से सहलाने से मज़ा तो बहुत आता है पर इसके ऊपर ज्यादा दबाव या घर्षण सह नहीं पाती, खास तौर से चरमोत्कर्ष के तुरंत बाद... इससे उसको पीड़ा भी हो सकती है।
नाम से तो लघु भगोष्ठ (Labia Minora) छोटे होने चाहियें पर अक्सर ये काफी बड़े होते हैं और कई बार ये भगोष्ठ (Labia Majora) के अंदर नहीं समा पाते और बाहर दिखाई देते हैं। मेरा आकार और रूप लघु भगोष्ठों के कारण ही भिन्न-भिन्न होता है।

कुछ लोग समझते हैं कि मैं एक छेद हूँ जिसके पीछे कोई सुरंग या गुफा नुमा ट्यूब है जिसमें सम्भोग के समय पुरुष का लिंग जाता है। मैं कोई खोखली सुरंग नहीं हूँ... मैं हमेशा पिचकी हुई और बंद रहती हूँ। सम्भोग के दौरान लिंग का प्रवेश मुझे खोलता हुआ अंदर जाता है और जब वह बाहर आता है तो मैं अपने आप फिर से बंद हो जाती हूँ। इस कारण पुरुष को हर बार लिंग प्रवेश करने में घर्षण का आनंद मिलता है... मेरे अंदर की दीवारें लिंग की पूरी लम्बाई पर संपर्क बनाये रखती हैं जिससे पूरे लिंग को अंदर-बाहर होते समय घर्षण का अहसास होता है। अगर मैं ऐसी नहीं होती तो मर्दों को यौन सुख का मज़ा नहीं मिलता और शायद मैं मैथुन-सुख से वंचित रह जाती।

जैसा मैंने कहा, पैदा होने से लेकर उसकी पांचवीं सालगिरह तक मेरे रूप और आकार में ज्यादा बदलाव नहीं आया। फिर अगले दो-तीन साल तक मेरा आकार थोडा बड़ा हुआ। इसके बाद तो मैंने यौवनावस्था में क़दम रखा (11-12 वर्ष की उम्र) तभी मेरे आकार और रूप में बदलाव आने शुरू हुए। ऊपर प्रगति के स्तनों का विकास शुरू हुआ और नीचे मेरे द्वार के इर्द-गिर्द बाल आने शुरू हो गए। मेरे ऊपर स्थित शुक्र-टीला (Mound of Venus) बढ़ने लगा... मेरे लघु भगोष्ठ बड़े होकर हल्के-हल्के बाहर प्रकट होने लगे... उनका रंग गुलाबी से बदल कर कत्थई सा होने लगा और उनकी अंदरूनी दीवारों का गीलापन बढ़ने लगा। गर्भाशय (Uterus) और अंडाशय (Ovaries) के विकास के साथ-साथ उसके शरीर में और कई बदलाव आने लगे। उसके स्तनों, कमर, कूल्हों, जांघों, ऊपरी बाजू और जघन हिस्से (Pubic Area) में चर्बी की मात्रा बढ़ने लगी जिससे उसके अंगों में गोलाई बढ़ने लगी। अगले दो-तीन सालों तक यह उन्नति होती रही... शरीर सुडौल होता गया... स्तन उभर आये तथा चूचक बड़े हो गए। अब मैं पहले की तरह फ्रॉक नहीं पहन सकती थी... चोली और दुपट्टे की ज़रूरत होने लगी। कूल्हे पीछे की ओर उभर कर अपना अस्तित्व दर्शाने लगे। लघु भगोष्ठ और बड़े हो गए और भगनासा उभर कर दिखने लगी... चेहरे पर मुहांसे आने लगे और पसीने की दुर्गन्ध वयस्क हो गई।

अचानक एक दिन, जब 13 साल की थी, तब पहली बार माहवारी का रिसाव हुआ। मुझे याद है मैं कितना डर गई थी और रोती-रोती अपनी माँ के पास गई थी जिसने उसको इस बारे में समझाया और दिलासा दिया था।

माहवारी शुरू होना प्रजनन-योग्य होने का प्रतीक था। हालांकि, अभी 4-5 वर्ष तक प्रजनन के बाकी अंग परिपक्व नहीं होंगे और तब तक उसके लिए प्रसव जोखिम दायक हो सकता है।

यहाँ मैं माहवारी चक्र के बारे में बता दूँ। मेरा माहवारी चक्र सामान्यतः 28 दिन का होता है। क्योंकि प्रकृति ने गर्भाशय को प्रजनन के लिए बनाया है, हर 28 दिन के क्रम में, दोनों अंडाशयों में से एक अंडाशय, एक अंडा गर्भाशय में भेजता है। यह अंडा ग्रीवा के समीप पुरुष के शुक्राणु से मिलने का इंतज़ार करता रहता है। साथ ही गर्भाशय की अंदरूनी परत गर्भधारण की तैयारी में लग जाती है। अगर इस अंडे का पुरुष के वीर्योपात के करोड़ों में से किसी एक भी शुक्राणु से सफल मिलन हो जाता है तो गर्भ बैठ जाता है और गर्भाशय में अगले 9 महीनों तक भ्रूण पनपता है और फिर शिशु का जन्म होता है।
अगर किसी कारण अंडे और शुक्राणु का मिलन नहीं होता तो गर्भाशय हर 28 दिन अपनी अंदरूनी परत को त्याग देता है। यह परत मेरे मार्ग से होती हुई बाहर आती है जिसे माहवारी कहते हैं। माहवारी में रिसने वाले तरल पदार्थ मात्रा में करीब दो से ढाई चम्मच के होते हैं। यह केवल रक्त होता है पर ऐसा नहीं है। इसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत के अंश, मेरे रिसाव वाले तरल पदार्थ तथा परत के छूटने से निकले रक्त के अंश होते हैं। इसका रंग गहरा कत्थई-लाल होता है और यह आम खून की तरह जल्दी से जमता नहीं है। ना ही इसके रिसाव से रक्त में लोहे की मात्रा (Hb) कम होती है। इतना ज़रूर है कि माहवारी का प्रजनन क्रिया और गर्भधारण से गहरा सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध का गर्भधारण के लिए तथा गर्भ-निरोधन, दोनों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
माहवारी चक्र सामान्यतः 28 दिन का होता है पर यह 2-4 दिन इधर-उधर हो सकता है। माहवारी का बंद हो जाना गर्भ-धारण का सबसे ठोस सबूत माना जाता है। यह चक्र गर्भ-धारण से लेकर शिशु-जन्म तथा उसके उपरान्त शिशु के स्तन-सेवन की अवधि तक बंद रहता है। जब तक यह चक्र दोबारा शुरू नहीं हो जाता आगामी गर्भधारण नहीं हो सकता.

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छोटे या बड़े स्तनों की समस्या


अधिकतर महिलाएं छोटे या बड़े स्तनों की समस्या को लेकर परेशान रहती हैं आइए जानें इनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में

कारण
हॉर्मोन्स में गड़बड़ी होना, अनियमित मासिक धर्म, आनुवांशिकता, कुपोषण, लंबी बीमारी, आर्थिक समस्या, परदे में रहना, भय, अत्यधिक शारीरिक श्रम, कम उम्र में शादी हो जाना आदि कारणों से स्तन छोटे रह जाते हैं। वहीं अधिक सेक्स चिंतन, अश्लील पुस्तकें पढ़ना, अश्लील फिल्में देखना छोटी उम्र में शारीरिक संबंध स्थापित कर लेना आदि कारणों से स्तन बड़े हो जाते हैं।
स्तनपान की सही वैज्ञानिक विधि की जानकारी न होने पर शिशु को गलत तरीके स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्तनों का आकार भी बिगड़ जाता है और स्तन ढीले होकर लटक जाते हैं। ब्रा का चयन गलत होने पर भी स्तन के आकार-प्रकार पर प्रभाव पड़ता है। स्तन के निपल के आस-पास का भाग श्याम रंग की संवेदनशील त्वचा से ढका होता है। उचित देखभाल के अभाव में इस हिस्से पर मृत कोशिकाएं एकत्रित हो जाती हैं, जिसकी वजह से यहां की त्वचा कड़ी और खुरदरी हो जाती है और स्तनों का सारा सौंदर्य नष्ट हो जाता है।

घ्यान दें
स्तन छोटे रह जाने पर उन्हें बड़ा करने के लिए विटामिन युक्त संतुलित पौष्टिक आहार लें।
तैरना, रस्सी कूटना, रॉड पकड़कर झूलना स्तन के संतुलित विकास के लिए व्यायाम है।
सही नाप की ब्रा पहनें। ब्रा न अधिक ढीली हो न ही अधिक कसी हुई हो।
गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे सही नाप से एक नंबर बड़े आकार की ब्रा पहनें।
रात को सोते समय ब्रा को अवश्य उतार दें ताकि स्तन दिन भर के कसाव से मुक्त हो सकें।
नायलॉन या टेरीकॉट की ब्रा पहनने से बचें। इससे स्तनों पर संक्रमण होने का खतरा रहता है। हमेशा सूती कपड़े की ब्रा ही पहनें।
गहरे व काले रंग की ब्रा न पहनें। इससे कैंसर होने की संभावना रहती है।
शिशु को स्तनपान कराते समय उसके सिर को हथेली पर रख लें, जिससे स्तन पर खिंचाव न पड़े।
स्तन को दबा-दबाकर दूध निकालकर न पिलाएं। इससे स्तन ढीले हो जाते हैं।
शिशु को दूध पिलाने के बाद निपल को पानी से धो लें, जिससे किसी प्रकार का संक्रमण होने का डर न रहे।
स्तनों को दबाकर स्वयं जांच करती रहें कि कोई गांठ तो नहीं उभर रही है। यदि गांठ दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
स्तनों के आकार-प्रकार और रंग में तेजी से कोई परिवर्तन दिखाई देने पर भी तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

सौंदर्य के उपाय
स्तनों पर ठंडे पानी की बौछारें दें। इससे स्तनों की कोशिकाओं में रक्त संचार अच्छी तरह होगा और स्तनों का विकास सही ढंग से होगा।
स्तनों को गुनगुने पानी से धोएं। इसके तुरंत बाद ठंडे पानी से धोएं। ऎसा पांच-छह बार करें। तापमान के जल्दी से बदलने से स्तनों की कोशिकाओं में तेजी से रक्त संचार होता है और स्तन विकसित होते हैं।
रात्रि में सोते समय बादाम या जैतून के तेल की स्तनों पर गोल-गोल घुमाकर मालिश करें। बादाम या जैतून के तेल में पाए जाने वाल तžव विटामिन ए, ई, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और एमिनो एसिड स्तनों को पुष्ट बनाते हैं। उनका विकास करते हैं और स्तनों की त्वचा को सुंदर व मुलायम बनाए रखते हैं।
दो चम्मच भैंस के गाढ़े दूध में एक चम्मच बादाम का तेल मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें। इससे स्तनों की मालिश करें। मालिश उंगलियों के पोरों से बहुत धीरे-धीरे गोलाई में नीचे से ऊपर की ओर उंगलियां घुमाते हुए करें।
निपल के पास की त्वचा कड़ी व खुरदरी हो जाने पर एक चम्मच गुड़, आधा चम्मच मलाई, आधा चम्मच जैतूून का तेल और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को कड़ी और खुरदरी त्वचा पर लगाएं। सूख जाने पर ठंडे पानी से धो लें। यह उपचार सप्ताह में दो बार करें। यह पेस्ट निपल के आस-पास जमी मृत कोशिकाओं को आसानी से निकालकर खुरदरापन दूर कर देता है और त्वचा मुलायम व खुबसूरत बनाता है।
किसी-किसी महिला के स्तनों के निपल अंदर की ओर रह जाते हैं। ऎसी स्थिति में प्लास्टिक की एक बोतल में गरम पानी भरें। फिर इसे खाली कर दें। बोतल में भाप रह जाएगी। अब बोतल के मुंह में निपल को डालकर, बोतल को इस तरह से दबाकर रखें, जिससे बाहर की हवा अंदर न जा सके। जैसे-जैसे बोतल की भाप ठंडी होती जाएगी, वैसे-वैसे निपल बाहर की ओर खिंचता जाएगा। बोतल ठंडी होने पर हटा दें पांच-छह बार ऎसा करें यह उपाय नियमित करने से अंदर की ओर धंसे निपल बाहर निकल आते हैं.....
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सेक्स का पहाड़ा पढ़ने वाले पुरुष इसे भी जाने क्या चाहती है स्त्री


सुबह की पहली किरण के साथ शुरू और और चन्द्र की अंतिम विदाई तक ही सेक्स का पहाड़ा पढ़ने वाले पुरुष इसे भी जाने क्या चाहती है स्त्री
पुरुष की उर्जा का केंद्र मूलाधार चक्र ( कामकेंद्र) होता है ,स्त्री का उर्जा केंद्र ह्दय होता है , पुरुष की अपेक्षा स्त्री काम केंद्र से तीन चक्र उपर होती है , स्त्री की मांग हमेशा प्रेम की ही होती और पुरुष की मांग हमेशा काम की होती है ,पुरुष की उर्जा स्थूल होती है इसीलिए पुरुष हमेशा स्थूल वस्तु को एक ही झटके में उठाना , धक्का मारना ,उसके लिए सरल होता है स्त्री के लिए ममता प्रेम जैसे कार्य सरल होते है , स्त्री की साधना ह्दय से उपर उठने की होती है और पुरुष की साधना काम से ह्दय की ओर उठने की होती है वे मुर्ख गुरु है जो पुरुषो की साधना स्त्रियों को कराते है ! एसा भी नही की स्त्री भी काम केंद्र स्थिर नही होती होती है लेकिन उसकी संख्या कम और पुरुषो की स्थति ठीक विपरीत होती है ! जो स्त्री काम केंद्र पर स्थिर होती है उसे हमेशा पर पुरुष अच्छे लग सकते है इसी लिए किसी भी स्त्री को परपुरुष गमन अपवित्र समझा है और पुरुष हमेशा परस्त्री की ही ताक में बेठे हुए होते है अपनी पत्नी चाहे कितनी भी सुंदर हो लेकिन कामुक स्त्री की और ज्यादा आकर्षित होंगे क्योकि उसका काम आवेग वह कामुक स्त्री ही बढ़ा सकती है
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कंडोम हमेशा जरूरी, उसे ना मत कहें


पुरुषों के पास कंडोम का इस्‍तेमाल न करने के सौ बहाने होते हैं। अधिकांश पुरुष यह सोचते हैं कि कंडोम के इस्‍तेमाल से सेक्‍स का मज़ा फीका पड़ जाता है। लेकिन यदि आप गर्भधारण नहीं चाहती हैं और आपका ब्‍वॉयफ्रेंड कंडोम के इस्‍तेमाल से इनकार करता है, तो आप क्‍या करेंगी।
क्‍या उसकी बातों में आ जाएंगी? नहीं कतई नहीं। जब आपका ब्‍वॉयफ्रेंड कंडोम से इनकार करे, तो आपके पास उसकी सारी बातों के जवाब होने चाहिए।
सबसे पहले वो कहेगा कि कंडोम से सेक्‍स का मूड नहीं बनता, तब आप कहिए, "बिना कंडोम के मेरा मूड नहीं बनेगा, क्‍योंकि उसके बिना मैं असुरक्षित महसूस करूंगी"। जब ब्‍वॉयफ्रेंड कहे कि मुझे उससे मज़ा नहीं आता, तो आप कहिए, "मुझे तब तक अच्‍छा नहीं लगेगा, जब तक यह सुनिश्चित नहीं कर लूंगी कि हम दोनों सुरक्षित हैं।"
यदि वो यह कहे कि इससे वो असहज महसूस करता है, तो आपका जवाब होगा, "अपने साइज़ का कंडोम लेकर आओ।" यदि वो कहे कि मैंने कभी कंडोम के साथ सेक्‍स नहीं किया, तो आप कहें, "तो फिर तुम्‍हें एचआईवी एड्स जैसी यौन संक्रमित बीमारियों का खतरा ज्‍यादा है।" यदि वो यह कहे कि तुम गर्भनिरोधक गोली खा लेना, तो आपका जवाब होना चाहिए, "गर्भनिरोधक गोलियां यौन संक्रमित बीमारियों को नहीं रोकतीं।" वो कहे कि मुझ पर विश्‍वास करो कुछ नहीं होगा, तो आप का जवाब होगा, "मैं कैसे विश्‍वास करुं, क्‍या होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं।"
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गर्भ कैसे ठहरता है? गर्भाधान या फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया क्या है?


गर्भ की प्रक्रिया समझने के लिये स्त्री के प्रजनन अंगों को समझना जरुरी है। स्त्री के प्रजनन अंगों को चार भागों में बांटा गया है- ओवरी, डिम्बवाहिनी नली, गर्भाशय और योनि। ओवरी बादाम की तरह और लगभग उसी के आकार की दो ग्रथियां होती हैं। स्त्रियों में मौजूद इन्हीं ओवरियों में मनुष्य को जन्म देने वाले लगभग चार लाख जीवित अण्डे किशोरावस्था के आने तक सुप्त अवस्था में पड़े रहते हैं। प्रथम मासिक-धर्म के शुरू होते ही इस बात की सूचना मिल जाती है कि लड़की अब किशोरी हो गई है। इसके साथ ही उसके संपूर्ण संतानोत्पादक अंग सचेत होकर अपने-अपने कार्य में जुड़ जाते हैं। किशोरावस्था के आरंभ होते ही ओवरी में सोए हुए अंडे सचेत होकर बाहर निकलने का प्रयास करने लगते हैं। साधारणः लगभग 28 दिनों के अंतराल से दोनों ओवरियों में से किसी एक ओवरी में एक साथ कई अंडे पकने शुरू हो जाते हैं, लेकिन अंतिम रूप से केवल एक ही अंडा पककर बाहर निकलने योग्य हो पाता है, बाकी सब सूखकर बेकार हो जाते हैं
मासिक धर्म के बाद लगभग 10 दिनों तक यह अंडा ओवरी के अंदर अपनी छोटी सी पुटिका में बंद होकर पुटिका सहित बढ़ता रहता है। अंत में यह ओवरी के ऊपरी सतह पर उभरकर एक छोटा सा छाला बनकर दिखता है। पक जाने पर यह पुटिका फट जाती है और पका हुआ अंडा ओवरी से अलग हो जाता है। स्त्री की संपूर्ण आयु में लगभग 30 वर्षों तक प्रति माह एक अंडा (डिम्ब) ओवरी से बाहर निकलता है। इस प्रकार ओवरी के अंदर कुल चार लाख अंडों में से केवल 400 या 445 अंडे ओवरी से बाहर निकलते हैं। बाकी अंडे पूरी तरह न पक सकने के कारण नष्ट हो जाते हैं या उनके पकने की कभी बारी ही नहीं आती।
यह निश्चित करना असंभव है कि किस ओवरी से अंडा पककर बाहर निकलेगा। एक माह में दोनों ओवरियों से साथ-साथ अलग-अलग अंडे पककर निकल सकते हैं। प्रत्येक ओवरी के निकट ऊपर की ओर मांस की एक पतली सी नली होती है- लगभग साढ़े पांच इंच लंबी। इसे डिम्बवाहिनी नली या फेलोपिन ट्यूब कहते हैं। इन नलियों का एक-एक सिरा ओवरी के समीप होता है। इसके साथ ही इन सिरों में से अनेक रेशे जैसे लटकते रहते हैं। इन नलियों के दूसरे सिरे कुछ पतले होकर गर्भाशय के ऊपर की ओर आकर दाएं-बाए मिल जाते हैं। ओवरी से ज्यों ही पका हुआ अंडा बाहर निकलता है, डिम्बवाहिनी के सिरे पर झूमते हुए रेशे उस अंडे को हाथी की सूंड की तरह पकड़कर नली के मुख छिद्र में डालकर अंदर धकेल देता है
अब यह डिम्ब लहराती हुई नली से रोमाभ (रोम की तरह बाल के रेशे) की पकड़ में आ जाता है। यह रोमाभ इस नए मेहमान को आदर सहित धीरे-धीरे धकेलकर नली के दूसरी ओर गर्भाशय में प्रवेश कराने के लिए आगे बढ़ाते रहते हैं। डिम्बवाहिनी नली की यात्रा पूर्ण करने में प्रायः 3 से 6 दिन तक का समय लग सकता है। ओवरी के अंदर रहकर ज्यों-ज्यों अंडे का विकास होता रहता है, स्त्री की कामवासना दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। जिस दिन डिम्ब, ओवरी को फोड़कर बाहर निकलता है, उस दिन विशेष रूप से कुछ अधिक बेचैनी अनुभव होती है जो प्रायः 2-3 दिन में ठंडी पड़ जाती है
इसका कारण यह है कि पके हुए अंडे यानी डिम्ब में पूर्णता प्राप्त करने के लिए पुरुष के वीर्य में उपस्थित स्पर्म से मिलने की इच्छा होती है जो स्त्री की कामुक भावना से स्पष्ट होती है। मासिक-धर्म के प्रायः 10 दिन बाद डिम्ब ओवरी से बाहर निकलता है जिसे ओवूलेशन क्रिया कहते हैं। इस दिन यदि वह स्त्री किसी पुरुष से समागम करती है तो पुरुष के वीर्य में उपस्थित करोड़ों स्पर्म किसी न किसी तरह गर्भाशय के मुख छिद्र में प्रवेश कर ऊपर डिम्बवाहिनी नलियों में पहुंच कर वहां पहले से उपस्थित पके हुए डिम्ब से मिल जाने का प्रयत्न करते हैं। इन शुक्राणुओं का शरीर बहुत सूक्ष्म धागे की तरह होता है। इसके 2 भाग होते हैं- एक सिर तथा दूसरा पूंछ।
यह शुक्राणु इतने छोटे और चंचल होते हैं कि इनके लिए 5 या 6 इंच की यह छोटी सी यात्रा कठिन प्रतीत होती है। इस कठिन परिस्थिति में एक शुक्र के शायद जीवित बचने की आशा करना व्यर्थ है। इस बात को ध्यान में रखकर प्रकृति भी इस कठिनतम परीक्षा के लिए एक साथ करोड़ों शुक्राणुओं को निमंत्रण देती है। जीवन-मरण की इस दौड़ में शायद एक या दो शुक्राणु सफल हो पाते हैं क्योंकि योनि से लेकर डिम्बवाहिनी नली तक के मार्ग में अनेक बाधाएं इन नन्हे यात्रियों के प्राण ले लेती हैं।
सबसे पहले समागम के समय ही योनि के अंदर चारों तरफ की दीवारों में छिपी ग्रंथियों से एक तरल व चिकना पानी जैसा द्रव निकला करता है। इस द्रव में तेजाब के गुण होते हैं। वीर्य के साथ जो शुक्राणु योनि में आ जाते हैं, उन्हें यहां आते ही सबसे पहले तेजाब सागर में गोते लगाने पड़ते हैं जिससे अधिकांश शुक्राणु तो यहीं मौत के घात उतर जाते हैं जो थोड़े बहुत किसी तरह जीवित बच जाते हैं, वे शीघ्रता से गर्भाशय के मुख छिद्र द्वारा अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इन शुक्राणुओं को डिम्बवाहिनी नली तक पहुचने के लिए चारों ओर चिपचिपी दीवार, पहाड़-पहाड़ियों की तरह उभरी हुई मांस की गद्दियों और चिपचिपे तरल पदार्थों की झीलों को पार करना पड़ता है।
इस शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचने में डेढ़-दो दिन का समय लग जाता है। यदि ओवूलेशन क्रिया के बाद के 1-2 दिन में ही स्त्री किसी पुरुष से मिलाप नहीं कर पाती तो गर्भाधान का प्रश्न नहीं उठता, क्योंकि बाद में डिम्ब में अपनी नली से निकलकर गर्भाशय में पहुंचकर शुक्राणुओं से मिलने की शक्ति नहीं रहती। जैसे ही कोई शुक्राणु नली के इस छोर पर इंतजार करते हुए अंडे के पास पहुंचता है, वैसे ही वे दोनों अपनी परस्पर आकर्षक शक्ति के कारण इतनी व्याकुलता और व्यग्रता से आलिंगन करते हैं कि देखते ही नन्हा-सा शुक्राणु अपने तीर जैसे नुकीले सिरे को डिम्ब की खाल में गड़ाकर किसी तरह घूम-घूमकर दीवार में छेद करता हुआ अंदर घुस जाता है। अंडा शुक्राणु को अपने में आत्मसात कर लेता है। बस इस क्रिया को गर्भाधान या अंग्रेजी में फर्टिलाइजेशन कहते हैं। अब इस गर्भित अंडे में अनेक नए परिवर्तन होने लगते हैं और तब यह अंडा शीघ्रता से एक जगह जमकर बैठने के लिए उपयुक्त स्थान की खोज करता हुआ डिम्बवाहिनी नली से बाहर निकलकर गर्भाशय में प्रवेश करता है।
गर्भाशय के चारों ओर मुलायम मांस की रस भरी गद्दियां बनकर बिछ जाती हैं ताकि गर्भिक अंडे को कहीं भी जमकर अंकुरित होने की सुविधा मिल सके। इसके अतिरिक्त ओवरियों को भी गर्भाधान की सूचना तुरंत मिल जाती है। जिससे इन ओवरियों में अगले 9 महीने अंडे का पककर निकलना बंद हो जाता है और न ही कोई शुक्राणु अंदर आ पाता है। मासिक-धर्म का क्रम भी रुक जाता है। स्त्री गर्भवती हो जाती है
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शादी के बाद ये बाते कभी भी भूल के न करे अपने पति या प्रेमी से शेयर



आज आपसी रिश्तों का टूटना आम हो गया हैं. इसलिए एक रिश्ता टूटने के बाद अगर किसी और से रिश्ता बनता है या कोई और व्यक्ति आपके जीवन में आता हैं तो अपने दूसरे पार्टनर को पहले वाले रिलेशनशिप के बारे में सोच समझकर बताएं.
क्योंकि अगर आपने पहले वाले पार्टनर कि तारीफ कर दी तो इससे आपकी छवि पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है या आपकी छवि खराब हो सकती हैं.
अपने पहले के समय के बारे में सबकुछ बताने से बचें. आपको अपने पूर्व प्रेमी के बारे में खुलकर बात करने की जरुरत नहीं है.
रिश्तों की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि निम्न तीन बातों के बारे में अपने वर्तमान प्रेमी से कभी कोई बात शेयर ना करें.

कितने लोगों के साथ डेट किया है
जब आप अपने प्रेमी के साथ घूमने गए है तो इस बात का जिक्र बिल्कुल न करें कि आप इससे पहले कितने लोगों के साथ घूमने जा चुकी हैं. क्योंकि अगर आपने उसे अपने भूतकाल के बारे में बताया तो आपका ब्वॉयफ्रेंड यह सोचेगा कि आप अपने रिश्तों के प्रति गंभीर नहीं है और मिलने के बहाने टाइम पास करती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि इस विषय पर किसी तरह कि चर्चा न करे. अपने नए प्रेमी के साथ नई जगहों पर घूमने जाएं.

शारीरिक संबंधों की बात करने से बचें
अपने ब्वॉयफ्रेंड से कभी भी उसके भूतपूर्व प्रेमी के साथ बिताए गए अंतरंग पलों की चर्चा कभी न करें. अपनी पूर्व की खूबियों का बखान करने से बचें. ऐसा इसलिए जरुरी हैं क्योंकि ऐसा सुन कर आपका प्रेमी भड़क सकता है और इससे उसका विश्वास भी टूट सकता है. अपने प्यार को परखने के बाद ही कुछ कदम बढाएं.

दोस्तों से ज्यादा हैंडसम हो तुम
अगर आप अपने प्रेमी की तारीफ करती हैं तो उनका मोरल बूस्टअप होता है. इसलिए अपने प्रेमी की तारीफ करना कभी न भूले और न ही उसके तारीफ करने में कोई कसर न छोड़े. अपने प्रेमी की तुलना उसके दोस्तों से करें और उसकी तारीफ करते हुए कहें कि अपने दोस्तों में वहीं सबसे हॉट और सेक्सी है इसलिए आपने उससे दोस्ती की है. इगो मसाज से बिगड़ते रिश्ते वापस बन जाते है. कभी भी आपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड की तारीफ न करें. इसके अलावा उसके पहनावे और कपड़ों की भी तारीफ न करें. हो सके तो अपने पूर्व प्रेमी के दोस्तों से भी कोई रिश्ता न रखे.

ये बातें पति से छुपाएं ...
रिश्ता चाहे कोई भी हो, इसकी डोर बेहद नाजुक होती है और इसे न सिर्फ टूटने से बल्कि इसमें गांठ पडने से भी बचाना जरूरी होता है। और बात जब पति-पत्नी जैसे अहम्र रिश्ते की हो, तो यह डोर और भी नाजुक हो जाती है। एक बार प़डी गांठ कभी नहीं खुलती, हमेशा की तकलीफ का सबब बन जाती है। इस तकलीफ से बचने का एक तरीका ये है कि कुछ राज की बातें हमेशा अपने सीने में ही दफन रखें, उन्हें अपने पति से कभी शेयर न करें।

सहेली के राज
आप अपनी पक्की दोस्त यानी सहेली की जिंदगी की रहस्य की बातें कभी अपने पति को न बताएं। इससे आप सहेली का सम्मान और दोस्ती की विश्वसनीयता बनाए रखती हैं। वैसे भी आपकी सहेली के निजी मसलों से आपके पति का कोई लेना-देना नहीं होता है। बेवजह सब कुछ बता देने की ईमानदारी के चक्कर में न प़डें। आपके पति भी अपने करीबी दोस्तों के राज आपसे छुपा कर रखते हैं। दूसरी तरफ, अपनी सबसे अच्छी सहेली के राज पति से शेयर करने से नुकसान आपको ही होता है। आपका साथी सोच सकता है कि आपमें एक भरोसेमंद दोस्त के गुण नहीं है।

मंगेतर को बताऊं या नही
ऎसे मामलों में आप अपने दोस्त का भरोसा कभी न तोडें। सहेली ने आप पर विश्वास करके अपने राज आपसे शेयर किए हैं। दूसरी बात, आपके मंगेतर या पति अपने दोस्तों को ये बात बता सकते हैं और बात फैल सकती है। तीसरी बात, आपके पति/मंगेतर के मन में आपकी सबसे अच्छी सहेली के प्रति गलत भावना बैठ सकती है और वे संभवत:आपकी सबसे अच्छी दोस्त को सम्मान की नजर से देखना बंद कर दें, जो आपके लिए भी बेहद तकलीफदेह होगा और अंतत: इसका असर आप दोनों के आपसी संबंधों पर पडने लगेगा।

प्रभावित होते आपसी रिश्ते
अगर आपको लगता है कि अपने पति/मंगेतर की नजर में आप तो अच्छी-भली हैं, इसलिए आपके दोस्तों की जिंदगी के रहस्यों से आप दोनों पर भला क्या असर पडेगाक् तो आप गलत हैं। कई बार, कुछ महिलाएं या ल़डकियां अपने पति/मंगेतर की नजर में अपनी किसी खास सहेली का आकर्षण कम करने के लिए भी इस रास्ते का सहारा लेने की कोशिश करती हैं, यह पूरी तरह गलत है। ऎसा कभी न करें। इससे आपके पति/मंगेतर की नजर में खुद आपका सम्मान घट सकता है जिसका असर आप दोनों के आपसी रिश्ते पर पडेगा।

राज ही रहें परिवार के राज
इस तकलीफ से बचने और अपने रिश्ते को ऎसी खरोंच लगने से बचाने का तरीका यही है कि आप इस बात को समझें कि हर परिवार के कुछ अपने रहस्य होते हैं जिन्हें राज ही रहने दिया जाता है। आप दो परिवारों के बीच की एक कडी हैं और आपको दोनों परिवारों की राज की बातों को अलग-अलग ही रखना है। याद रखें, आप दोनों भी एक परिवार की शुरूआत करने जा रहे हैं और आगे चलकर इस तीसरे परिवार के भी कुछ अपने रहस्य होंगे। इसलिए बेहर यही होगा कि आप इसी तीसरे परिवार की फिक्र करें। यानी अपने पति/मंगेतर के साथ रिश्ते की मधुरता को बनाए रखें। हर परिवार के कुछ अपने राज होते हैं। मान लीजिए, आपके किन्हीं दो रिश्तेदारों के बीच बोलचाल बंद है तो आपको पति से सिर्फ इतना ही कहना चाहिए कि दोनों आपस में बात नहीं करते। वजह न बताएं, ताकि किसी पारिवारिक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात होने की स्थिति में आपके पति उनके साथ सहजता से पेश आ सकें। इससे अपने पति को खुद ही राय बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही आपके पारिवारिक सदस्यों से पहली मुलाकात में आपके पति को किसी असहजता का सामना नहीं करना पडेगा।

पैसे का राज
अनुसंधान बताते हैं कि पति-पत्नी के बीच होने वाले झग़डों में 60 प्रतिशत से ज्यादा झगडे पैसे की वजह से होते हैं। इसलिए उपचार से परहेज भला की तर्ज पर आप पहले से ही अपने पैसों का हिसाब-किताब अलग रखें।

अलगाव की स्थिति
अपने पीआईएन नंबर या पासवर्ड एक-दूसरे को बताने में कोई तकलीफ नहीं है। आपको अपने साथी पर पूरी तरह विश्वास है, फिर भी कुछ कॉन्फिडेंशियल चीजें सिर्फ अपने तक ही रहनी चाहिए। यह मामले की कॉन्फीडेन्शियल चीजों की सूची में आता है। कई बार रिश्ता टूटने की नौबत भी आ जाती है। ऎसे में आपकी आर्थिक सुरक्षा में खुद आपका साथी ही सेंध लगा सकता है। दंपतियों में अलगाव होने के कई मामलों में ऎसा देखा गया है।

कारोबारी राज
आप एक कामकाजी महिला हैं तो निश्चित रूप से कुछ कारोबारी राज भी आपके पास होंगे। एक प्रोफेशनल को अपने-अपने काम की गोपनीय बातों को अपने तक ही रखें, पति से शेयर न करें।

अतीत का इश्क
कई बार जिंदगी ऎसे रंग भी दिखाती है कि जिससे आपने प्यार किया, उससे शादी नहीं हुई। ऎसे में अपने मंगेतर या पति से अतीत के राज बताने या छुपाने की जद्दोजहद खडी होती है। इस कशमकश में न पडें। बीता हुआ वक्त वापस नहीं आता और अतीत मुर्दे के समान होता है। बेहतरी इसी में है कि गडे मुर्दे न उखाडे जाएं, वरना अतीत का असर वर्तमान और उससे भी ज्यादा भविष्य को बर्बाद कर सकता है। वर्तमान में जीएं वर्तमान ही सच है-इस तथ्य को सीने से लगा लें। हो सकता है, आप मानती हों कि अपने साथी से कोई भी राज नहीं छुपाना अच्छा होता है,पर इसका नतीजा आपसी गलतफहमी और रिश्ते की पेचीदगी में इजाफा कर सकता है। चाहे अपना साथी आपके कितना भी करीब हो, अतीत के प्रेम-प्रसंग उससे हमेशा छुपा कर ही रखें। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आपने कल क्या किया था, बल्कि यह है कि आप दोनों का आज और आने वाला कल हमेशा सुखद बना रहे। इसलिए अतीत की छाया को अपने और अपने साथी के वर्तमान और भविष्य पर न पडने दें।

पर-पुरूष के प्रति आकर्षण
कई बार ऎसा भी होता है कि आप अपने पति या प्रेमी के किसी दोस्त की तरफ खास आकर्षण महसूस करते हैं। यह बात अपने पति, या मंगेतर से कभी न कहें। आप उनके प्रति चाहे जितना समर्पित हों, उनके किसी दोस्त की खूबसूरती की तारीफ करने का एक ही अर्थ होगा कि आप उस शख्स की तरफ आकर्षित हैं, यह बात आपके पति या मंगेतर को पसंद नहीं आएगी और आप दोनों के बीच तनाव तो बढेगा ही, हो सकता है कि उन दोनों की दोस्ती भी खतरे में पड जाए।

पति के दोस्त की तारीफ न करें
पति या मंगेतर के किसी दोस्त की तारीफ का वे एक ही अर्थ लेते हैं कि कहीं आप उनके दोस्त के प्रति आकर्षित तो नहीं हैक् यह उन्हें असुरक्षित और कमतरी का एहसास कराता है जो आपके वैवाहिक जीवन के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। कुल मिलाकर,आखिर आपके मंगेतर या पति भी यही तो चाहते हैं कि आप दोनों का साथ हमेशा अटूट,सुरक्षित और सुखद बना रहे। इसमें उनका सहयोग कीजिए और ये राज की 6 बातें उनसे कभी शेयर मत कीजिए ताकि एक-दूसरे के साथ आप दोनों पूरी जिंदगी भरपूर प्यार से बिता सकें।

ये बातें जरूर बताएं
जहां चंद मुलाकातों में ही अपने साथी को अपनी तमाम निजी बातें बताना बिल्कुल जरूरी नहीं है, वहीं कुछ बातें ऎसी भी हैं जिन्हें किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार किए बगैर आप तुरन्त बता दें (वरना हो सकता है कि आप खुद को दोषी महसूस करने लगें) खासकर तब, जब आप दोनों ने एक साथ जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया हो-

अपनी तात्कालिक और आनुवांशिक बीमारियों के बारे में (क्योंकि आगे चलकर आप दोनों को बच्चो भी पैदा करने हैं) क गायनेकोलॉजिकल समस्याएं, जैसे-एसटीडी, पॉलिसिस्टिक ओवेेरियन सिन्ड्रोम आदि।
जो दवाएं आप नियमित रूप से लेती हैं और इमरजेंसी में आपके पार्टनर को क्या करना चाहिए, यह जरूर उन्हें बता दें।
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महिलाओं से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें


 
कामेच्छा में कमी- 
बहुत-सी महिलाओं को सेक्स की चाहत ही नहीं होती। अगर वे पार्टनर के कहने पर तैयार होती हैं तो भी बिल्कुल ऐक्टिव नहीं हो पातीं। बस अपनी ड्यूटी समझकर 'काम' निबटा देती हैं। बच्चे होने के बाद यह समस्या ज्यादा होती है। 

वजह : डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से यह दिक्कत हो सकती है। कई बार बचपन की किसी बुरी घटना की वजह से भी सेक्स में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। इसके अलावा कुछ और वजहें भी सकती हैं, मसलन पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, उसके शरीर की महक नापसंद होना, उसे बहुत ज्यादा पसीना आना, उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरा की बदबू आना आदि। कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता। इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं। 

इलाज : पार्टनर को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि साथी महिला को क्या पसंद है और क्या नापसंद। उसी के मुताबिक आगे बढ़ना चाहिए। फोरप्ले में ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। इससे महिला मानसिक और शारीरिक रूप से अच्छी तरह तैयार हो जाती है। जब एक्साइटमेंट ज्यादा हो, तभी आगे बढ़ना चाहिए। अगर डिप्रेशन की वजह से दिक्कत है तो पहले उसका इलाज कराएं। डिप्रेशन से मुक्त होने पर ही कामेच्छा जागेगी। 'सेंसेट फोकस एक्सरसाइज' या 'प्लेजरिंग सेशन' से काफी फायदा हो सकता है। इस सेशन में स्पर्श पर सारा फोकस होता है और सहवास की मनाही होती है। इसका तरीका यह है कि बारी-बारी से स्त्री व पुरुष एक-दूसरे को प्यार से सहलाएं और एक-दूसरे के शरीर पर उत्तेजना केंद्र खोजें। दोनों एक-दूसरे को बताएं कि उन्हें कहां अच्छा लगता है। इससे महिलाओं की झिझक भी कम होती है। साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं होता। वे कपल जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है, वे भी तीन-चार महीनों में अगर एक हफ्ते इस सेशन को करें और सहवास से परहेज रखें तो सेक्स लाइफ को ज्यादा इंजॉय कर सकते हैं। 

लुब्रिकेशन की कमी- 
स्त्री जनन अंग में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है। कुछ महिलाओं को इसमें कमी की शिकायत हो सकती है। ऐसे में सहवास काफी तकलीफदेह हो जाता है। 

वजह :  लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है। इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर तरीके से फोरप्ले न होना। अगर जनन अंग में खुजली हो, खून आता हो, कपड़े पर धब्बे पड़ जाते हों या बहुत बदबू आती हो तो इन्फेक्शन हो सकता है। हार्मोंस में गड़बड़ी यानी एस्ट्रोजन की कमी आमतौर पर मीनोपॉज के बाद ज्यादा होती है। पार्टनर का महिला की जरूरत न समझ पाना या फोरप्ले में ज्यादा वक्त न गुजारना भी इसकी वजह हो सकती है। 

इलाज : अगर इन्फेक्शन है या हॉर्मोंस में गड़बड़ी है तो फौरन अच्छे डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं। हॉर्मोंस वाली दिक्कत अक्सर मरीज को खुद पता नहीं लगती। डॉक्टर जांच के बाद इसका पता लगा पाते हैं। तीसरी वजह है तो पार्टनर से बातचीत और समझ से प्रॉब्लम दूर की जा सकती है। पार्टनर को फोरप्ले में ज्यादा वक्त देना चाहिए क्योंकि यह बहुत अहम होता है। इसी से सेक्स को सही ढंग से इंजॉय किया जा सकता है। 

सहवास में दर्द और वैजिनिस्मस- 
कुछ महिलाओं को सहवास के दौरान दर्द होता है। कई बार यह दर्द बहुत ज्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है। साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता। उसे लगता है कि साथी महिला उसे सहयोग नहीं दे रही। यह दोनों के बीच झगड़े की वजह बनता है। इस प्रॉब्लम को डिस्परयूनिया (पेनफुल इंटरकोर्स) कहा जाता है। अगर पूरे इलाज या सलाह के बिना संबंध बनाने की कोशिश की जाती है तो प्रॉब्लम और बढ़ जाती है। 
वजह : संबंध बनाते वक्त दर्द की वजह लुब्रिकेशन में कमी या सही ढंग से फोरप्ले न होना हो सकता है। कई बार इन्फेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस यानी ओवरी में ब्लड जमा होने पर यह प्रॉब्लम हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए हॉर्मोन थेरपी या फिर जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी भी की जाती है। 

वैजिनिस्मस : 
वैजिनिस्मस का मतलब है किसी बाहरी चीज के स्त्री जनन अंग में जाने का डर। इसमें संभोग की कोशिश या संभावना का आभास मिलते ही महिला जनन अंग के बाहरी एक-तिहाई हिस्से में अनैच्छिक संकुचन आ जाता है। इससे समागम नहीं हो पाता और साथी अगर जबरन कोशिश करता है तो दिक्कत और दर्द दोनों बढ़ जाते हैं। 
वजह : इसके मानसिक कारण होते हैं - जैसे कि कई बार महिला के मन में सहवास को लेकर डर बैठ जाता है कि इस दौरान काफी दर्द होता है। इसके अलावा, किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, सेक्स को पाप या गलत समझने और अपने जननांगों को गंदे या बदबूदार मानने की भावना से भी यह परेशानी हो सकती है। 
इलाज : इस परेशानी की कोई दवा या सर्जरी नहीं होती। यह मानसिक बीमारी है और इसे काउंसलिंग से बहुत हद तक सुधारा जा सकता है। पीड़ित महिला के मन से सेक्स संबंधी डर दूर किया जाता है। उसे समझाया जाता है कि जनन अंग इलास्टिक की तरह होता है, जो जरूरत के मुताबिक बढ़ जाता है। इससे उसके दिमाग से काफी हद तक फिक्र निकल जाती है और वह मानसिक तौर पर राहत महसूस करने लगती है। इसके बाद एक खास थेरपी के जरिए जनन अंग को धीरे-धीरे बाहरी चीज के टच के प्रति सहज किया जाता है। फिर डाइलेटर की मदद से ज्यादा जगह बनाई जाती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज भी की जा सकती है। इसका तरीका यह है कि महिला पेशाब को रोके और छोड़ दे। फिर रोके, फिर छोड़ दे। इस तरह जनन अंग पर उसका कंट्रोल बढ़ जाता है। 

सलाह : डॉक्टर कहते हैं कि संबंध कायम करने के दौरान प्रवेश का काम औरत को ही करना चाहिए क्योंकि उसे ही मालूम है कि वह कब तैयार है। ऐसे में उसे संबंध के दौरान दर्द नहीं झेलना पड़ेगा। 

क्लाइमैक्स न होना या देर से होना- 
महिलाओं में यह शिकायत आम है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट किए बिना ही छोड़ देता है। कुछ को ऑर्गेज्म (क्लाइमैक्स) नहीं होता और कुछ को होता है, पर महसूस नहीं होता। कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी क्लाइमैक्स हो जाता है। कुछ को बहुत देर से क्लाइमैक्स होता है। असल में क्लाइमैक्स के दौरान महिला को अपने जनन अंग में लयात्मक संकुचन महसूस होता है और फिर मन एकदम शांत हो जाता है। लेकिन लयात्मक संकुचन 10 में से 8 महिलाओं को ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी दो को क्लाइमैक्स नहीं होता। उन्हें भी क्लाइमैक्स होता है, बस अहसास नहीं होता। वैसे, कुछ महिलाओं में पुरुषों की प्रीमैच्योर इजाकुलेशन की तरह शीघ्र क्लाइमैक्स होता है।
वजह : इस समस्या की वजह महिला खुद और साथी दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि अपने पार्टनर को संतुष्ट करना ही उसकी जिम्मेदारी है। इस सोच की वजह से वह अपनी इच्छा बता नहीं पाती। दूसरी ओर, पुरुष भी कई बार खुद संतुष्ट होने के बाद महिला साथी के बारे में सोचता ही नहीं है। 
इलाज : महिला अपनी झिझक खत्म करे और साथी को बताए कि वह संतुष्ट हुई या नहीं। ऐसे मुकाम पर पहुंचना जरूरी है, जहां पूरी तरह संतुष्टि महसूस हो। पुरुष को अपनी पार्टनर की इच्छा समझनी चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि उत्तम पुरुष वह है, जो महिला के कहे बिना ही उसकी बात समझ कर उसे संतुष्ट करे। मध्यम पुरुष वह है, जो कहने पर उसे संतुष्ट करे और अधम पुरुष वह है, जो कहने के बावजूद उसे असंतुष्ट छोड़ दे। 

मीनोपॉज- 
पुष्पांजलि क्रॉसले हॉस्पिटल के गाइनिकॉलजी डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. शारदा जैन के मुताबिक आमतौर पर मीनोपॉज हो जाने पर कुछ महिलाओं में सेक्स की इच्छा काफी घट जाती है। लुब्रिकेशन भी कम हो जाता है। इससे संबंध बनाते हुए तकलीफ होती है। जाहिर है, महिला इससे बचने की कोशिश करने लगती है। 
वजह : हॉर्मोंस में बदलाव की वजह से ऐसा होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में सेक्स हॉर्मोन का लेवल काफी कम हो जाता है। 
इलाज : फोर-प्ले में ज्यादा वक्त बिताएं। इससे नेचरल लुब्रिकेशन होता है। जरूरत पड़े तो बाहरी लुब्रिकेशन का इस्तेमाल करें। नारियल तेल अच्छा ऑप्शन हो सकता है। जरूरत पड़ने एस्ट्रोजन क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं। मीनोपॉज हो जाने पर ऐसी डाइट लें, जिसमें एस्ट्रोजन ज्यादा हो जैसे सोयाबीन, हरी सब्जियां, उड़द, राजमा आदि। डॉक्टर की सलाह पर सिंथेटिक एस्ट्रोजन की गोलियां भी ले सकती हैं। 

पीरियड्स के दौरान सेक्स- 
अगर दोनों को इच्छा हो तो पीरियड्स के दौरान भी सेक्स कर सकते हैं, बल्कि कुछ लोग तो इसे ज्यादा सेफ मानते हैं क्योंकि इस दौरान प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। साथ ही, पहले से ही गीलापन होने से आसानी भी होती है। लेकिन कुछ लोग इसे हाइजिनिक नहीं मानते। ऐसे में कॉन्डोम का इस्तेमाल बेहतर है। 

मास्टरबेशन- 
पुरुषों की तरह महिलाएं भी खुद को संतुष्ट करने के लिए मास्टरबेशन करती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक करीब 50 फीसदी महिलाएं ऐसा करती हैं। इसका कोई नुकसान नहीं है, बल्कि एक्सपर्ट्स इसे बेहतर ही मानते हैं क्योंकि एक तो इसमें प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। दूसरे इसमें कोई दूसरा शख्स अपनी पसंद-नापसंद को महिला पर थोप नहीं पाता। तीसरा एसटीडी (सेक्स ट्रांसमिटेड डिजीज) और एड्स की आशंका नहीं होती। 

वैजाइनल पेन (वुलवुडेनिया पेल्विक पेन)-
कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास दर्द महसूस होता है। यह दर्द वैसा ही होता है, जैसा पीरियड्स के दौरान होता है। इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून का बहाव होता है। ऐसे में लुब्रिकेशन होता है, पर क्लाइमैक्स नहीं होता। इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है। ऐसे में संतुष्ट होना जरूरी है, फिर चाहे महिला खुद संतुष्ट हो या पुरुष उसे संतुष्ट करे। ऐसा न होने पर दर्द होता रह सकता है और महिला चिड़चिड़ी हो सकती है। 

लेक्स पैरिनियम- 
मैक्स हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनुराधा कपूर के मुताबिक उम्र बढ़ने और बच्चे होने के बाद कुछ महिलाओं का जनन अंग ढीला पड़ जाता है, जिससे दोनों को पूरी संतुष्टि का अहसास नहीं होता। आमतौर पर यह समस्या 40 साल के आसपास और दो-तीन बच्चे होने पर होती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज और जरूरत पड़ने पर सर्जरी (वैजाइनोप्लास्टी) की जाती है। चार हफ्ते तक कीजल एक्सरसाइज करने से स्त्री जनन अंग में कसाव आने लगता है। 

जी स्पॉट : 
महिला जनन अंग में एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां सेक्स संबंधी संवेदनशीलता ज्यादा होती है। यह स्पॉट दो इंच की गहराई पर होता है। उत्तेजना बढ़ने पर यह स्पॉट थोड़ा फूल जाता है या कठोर हो जाता है। महिला को सबसे ज्यादा संतुष्टि इसी स्पॉट के छुए जाने पर होती है। 
 
-: मिथ और सचाई :-
महिलाओं को सेक्स की इच्छा कम होती है। 
महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सेक्स की इच्छा होती है। बच्चे होने के बाद भी कमी नहीं होती हालांकि कई बार परफॉर्मेंस में कमी आ जाती है। इसकी शारीरिक और मानसिक दोनों वजहें होती हैं। 
पहली बार सेक्स करते हुए ब्लड निकलना ही चाहिए। 
लोग मानते हैं अगर महिला वर्जिन है तो पहली बार सेक्स के दौरान इसे ब्लीडिंग होनी ही चाहिए। यह सच नहीं है क्योंकि कुछ खेलकूद या साइकल चलाते वक्त भी कुछ महिलाओं की हाइमेन टूट सकती है। ऐसे में पहली बार सहवास के दौरान ब्लड नहीं निकलता। 
महिलाओं को भी पुरुषों की तरह डिस्चार्ज होता है। 
महिलाओं में पुरुषों की तरह डिस्चार्ज नहीं होता। 100 में से बमुश्किल एक महिला को थोड़ा-बहुत डिस्चार्ज होता है। उत्तेजना के दौरान होने वाले लुब्रिकेशन को ही ज्यादातर लोग डिस्चार्ज समझ लेते हैं। हालांकि डिस्चार्ज होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि महिला को असली सुकून क्लाइमैक्स पर पहुंचने से ही मिलता है। 
महिलाओं को क्लाइमैक्स नहीं होता। 
यह पूरी तरह गलत है। महिलाओं को भी क्लाइमैक्स होता है। ऐसे में पुरुष का उसकी जरूरत को समझना और उसके मुताबिक काम करना जरूरी है। 
महिलाओं को ज्यादा वक्त लगता है। 
सभी महिलाएं क्लाइमैक्स पर पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लेतीं। अगर पार्टनर उनकी पसंद का है तो वे जल्दी मुकाम पर पहुंच जाती हैं। हालांकि कुछ को ज्यादा वक्त भी लग सकता है
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सेक्स के दौरान इन बातों से डरती हैं महिलाएं



कहा गया है कि महिलाओं के लिए सबसे कुछ खास है तो वो है सेक्स। इसके बिना वो मुर्झाए फूल की तरह हो जाती हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्या है कि महिलाएं कभी-कभी सेक्स से डरती भी हैं।

जो चींज लुभाती है, वो अगर डराए भी तो क्या हो! लेकिन ऐसा होता है और अक्सर होता है। इस डर से बचना जरूरी है। अगर डर होगा तो फिर सेक्स में मजा नहीं होगा। देखा गया है कि डर की वजह से अनेकों महिलाओं की सेक्स लाइफ बोरिंग हो जाती है। कई तो इससे बचना भी चाहती हैं और इसके लिए तरह-तरह के बहाने बनाती हैं।

पुरुषों के लिए फैंटेसी, महिलाएं होती हैं इमोशनल: सेक्स जहां पुरुषों के लिए अपनी अजीबो-गरीब फैंटेसी को पूरा करने का साधन है, वहीं औरतों के लिए यह रिलेशन काफी इमोशनल होता है। सेक्स के दौरान महिलाएं अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर देती हैं, लेकिन अक्सर पुरुष सेक्स संबंधों के दौरान भावनाओं में नहीं बहते। उनके लिए महज शारीरिक संतुष्टि ही काफी होती है।

प्रेग्नेंसी का डर: सेक्स करते हुए महिलाओं के लिए सबसे बड़ा डर प्रेग्नेंसी का होता है। अक्सर पुरुष साथी कंडोम का प्रयोग नहीं करना चाहते। दूसरे, कई महिलाएं भी कंडोम के साथ सेक्स में वो आनंद प्राप्त नहीं कर पाती। कई बार सेक्स संबंध इतने अचानक बन जाते हैं कि कुछ सोचने का मौका नहीं मिलता। प्रेग्नेंसी का डर सेक्स के बाद महिलाओं की चिंता का सबसे बड़ा कारण होता है।

संतुष्टि: पुरुषों को महिलाओं की इच्छा समझना चाहिए, पोर्न की तरह व्यवहार न करें। प्राय: पुरुष सेक्स के दौरान महिलाओं की इच्छाओं और उनकी भावनाओं का ख्याल नहीं करते। वे सिर्फ अपनी संतुष्टि से मतलब रखते हैं। यह एक स्वार्थी रवैया है। महिलाएं संवेदनशील व्यवहार से संतुष्ट होती हैं, पर पुरुष उनके साथ कुछ इस तरह सेक्स करना चाहते हैं मानो किसी पोर्न स्टार के साथ सेक्स कर रहे हैं। 

पीरियड्स में सेक्स: यह महिलाओं के डर का बहुत बड़ा कारण है। सेक्स मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं में सेक्स की इच्छा काफी बढ़ जाती है, पर उन्हें लगता है कि इस अवस्था में अगर सेक्स किया तो पता नहीं इससे क्या समस्या पैदा हो जाए। दूसरे, पीरियड्स के दौरान पुरुष भी महिलाओं के साथ सेक्स करने में रुचि नहीं लेते। पीरियड में सेक्स नहीं करना चाहिए, यह एक गलत धारणा है। इस दौरान सेक्स करने से कुछ भी नहीं होता। इसलिए महिलाओं को इस डर से मुक्त हो जाना चाहिए
 
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शादी शुदा औरतो के लिए दस जरुरी काम की बाते


1. अगर कोई खास कारण न
हो तो सेक्स के लिए इनकार न करें।
अगर किसी कारणवश (मेंसेस,
प्रेग्नेंसी, थकान आदि) सेक्स न कर
सकें तो पति को दूसरे तरीकों से
संतुष्टि देने की कोशिश करें।

2. सेक्स के वक्त पार्टनर के बेडौल
शरीर या किसी और फिजिकल
कमी को लेकर कॉमेंट न करें।

3.
पारिवारिक झगड़ों को प्यार के
हसीं लम्हों को बीच न आनें दें।

4.
प्राइवेट पार्ट में अगर कोई बीमारी है तो इसका इलाज
कराएं। यह पार्टनर
की कामेच्छा को कम कर
सकता है।

5. अपनी सेक्स लाइफ
को दूसरी सहेलियों से कंपेयर न करें।

6. अगर पार्टनर जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है तो सेक्सॉलजिस्ट
की मदद से
इलाज मुमकिन है। तब तक संतुष्टि के
दूसरे तरीकों का सहारा ले सकते
हैं।

7. सेक्स के वक्त थोड़ा आकर्षक
बनें। स्नान करें, वैक्सिंग कराएं, परफ्यूम का इस्तेमाल करें। प्राइवेट
पार्ट को साफ- सुथरा रखें। आपके
बेहतर पहनावे से भी पार्टनर
की उत्तेजना में
इजाफा हो सकता है।

8. अगर आप
उनकी तारीफ करेंगी तो वह अधिक उत्साह और जोश महसूस
करेंगे। प्यार करने के दौरान
तारीफ के जुमले बोलना न भूलें।
डॉक्टर की दो घंटे
की साइकोथेरपी से ज्यादा असर
पार्टनर की दो लाइन की तारीफ का होता है।

9. मुमकिन हो तो बड़े
बच्चों (5 साल से बड़े) को अलग
सुलाएं। घर में जगह कम हो तो सेक्स
के लिए दोपहर का वक्त फिक्स करें।

10. जो पॉजिशन पति को पसंद हो,
उन्हें आजमाएं। अपनी पसंद-नापसंद को भी उनके साथ शेयर करें।

एक और जरुरी बात औरतो के लिए
पुरुष के लिए महिला चाहे जैसी भी हैं अगर सेक्स लाइफ सही हैं तो पति पत्नी के बीच आधी लड़ाई खत्म।
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चेहरे से जानिये सैक्सुअल व्यवहार


क्या आप जानते है कि आपका चेहरा आपके यौन व्यवहार के बारे में बताता हैं। आप किसी का चेहरा देखकर बता सकते हैं कि उसे बेडरूम में क्या पसंद आता है, क्या नहीं? हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक ये बात सामने आई है।डेली मेल पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, सियांग ने दावा किया है कि वे चेहरा देखकर बता सकते हैं कि सामने वाले को बेडरूम में क्या पसंद हैं और क्या नहीं। आपको बता दें चाइना में लोग पिछले 3000 सालों से एक सीक्रेट लैग्वेंज सीख रहे हैं जिससे ना सिर्फ किसी भी व्यक्ति के चरित्र के बारे में बल्कि उसकी इच्छाओं के बारे में भी जाना जा सकता है। जानिए, चेहरे को पढ़कर कैसे सैक्सुअल व्यवहार के बारे में पता लगाया जा सकता है......

चपटी नाक :-ऐसे लोग फेंटेसी और रोमांटिक सैक्स को ज्यादा पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, इन्हें ट्रेडिशनल पोजीशन ज्यादा पसंद आती है। ऐसे लोग इरोटिक सैक्स को लेकर एडवेंचरस नहीं होते।

ऊबड़-खाबड़ (बम्पी) नाक :-
ऐसे लोगों की चपटी नाक वालों से बिल्कुल नहीं बनती। ये लोग चपटी नाक वालों के एकदम उलट होते हैं।

छोटी और कम घनी आईब्रो :-
जिन लोगों की आइब्रो कम घनी और छोटी होती हैं उनका सैक्स में बिल्कुल ध्यान नहीं होता। ऐसे लोग उत्तेजक चीजों के बजाए अध्यात्मिक ज्यादा होते हैं।

मोटी और फैली आइब्रो :-
ऐसे लोग जिनकी आइब्रो मोटी और फैली हुई होती हैं वे बहुत ज्यादा सैक्स के प्रति आकर्षित होते हैं।

पीली आंखें:- ऐसे लोग जिनकी आंखों में पीलापन होता है वे बहुत जल्दी सैक्सुअली संतुष्ट हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए प्यार ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ऐसे लोग अपने कपड़ों की तरह जल्दी-जल्दी पार्टनर बदलते हैं।

डार्क आईज :- ऐसे लोग बेड पर डायनामाइट होते हैं। इन्हें सैक्स में नए-नए एक्सपेरिमेंट करने में मजा आता है। ये लोग व्यवहार से बहुत पैशनेट होते हैं।

बड़े मुंह वाले :-
ऐसे लोगों को सैक्स के दौरान देर से संतुष्टि मिलती है। इन्हें हर चीज बड़ी और बेहतर चाहिए होती है। ऐसे लोग सेल्फिश नहीं होते है

नीचे के होंठ :-
जिन लोगों के नीचे वाले होंठ पूरी शेप में होते हैं वे सैक्स के मामले में ज्यादा सैक्सी और एडवेंचरस होते हैं। ऐसे लोगों का माइनस प्वॉइंट होता है ये लोग विश्वास के लायक नहीं होते और इन्हें किसी काम को करने में शर्म नहीं आती।

चौड़े मुंह वाले :-
ऐसे लोग जिनका मुंह चौड़ा होता है वे ज्यादा एम्बिशियस होते हैं। बेडरूम में ऐसे लोगों को बॉस बनना बहुत भाता है।

छोटे मुंह वाले :-
ऐसे लोगों चीजों को ज्यादा इमैजिन करते हैँ और नई चीजें करना इन्हें अच्छा लगताहै। लेकिन इनकी खामी है कि इन्हें बहुत जल्दी ऑर्गेज्म हो जाता है। इन्हें नए लोगों से मिलना-जुलना पसंद होता है। ऐसे लोग तब तक वफादार होते हैं जब तक वे आपके साथ है...
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आपके कुछ सवाल और उनके जबाब


1 > कब सेक्स करे की बच्चा न हो 

जबाब : सामान्यतः आप पीरियड या माषिक धर्म होने के 13 से 16 दिन के बीच में सेक्स करते हैं तो बच्चा होने या प्रेग्नेंट होने के चांस ज्यादा होते हैं इसके वाउजुद भी कोई गारंटी नहीं की बाकि के दिनों में प्रेग्नेंसी न हो हो सकती है अन्य कारन भी हैं की आप याद नहीं रखते हो इसके अलावा सभी औरतो का माषिक चक्र अलग अलग होता हैं यदि कभी किसी बीमारी के लिए महिला ज्यादा अंग्रेजी दवाई का सेवन करती हैं तो दवा की गर्मी के कारन पीरियड समय से पहले ही आ जाता हैं 
क्या करे यदि न चाहते हुए भी पीरियड रुक जाता हैं तो 
ये कोई जरुरी नहीं की आपका माषिक नहीं आया तो आप प्रेग्नेंट ही हैं पहले अपनी संका दूर करे प्रेग्नेंसी चेक किट आती हैं किसी भी मेडिकल स्टोर से 49 रुपये की कीमत में मिल जाता हैं घर पर ही पता कर सकती हैं आप सिर्फ 5 मं में
कैसे इस्तेमाल करना हैं 
सुबह का पहला यूरिन ( मूत्र , पिसाब ) ले कार्ड पर डाले
5 मिनट बाद रिजल्ट आ जायेगा 
यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो बाजार में बहोत तरह की दवा आती हैं जैसे की अनवांटेड 90 इसे 90 दिन के अंदर लेना होता हैं इसके साथ मुस्किल ए होती हैं की यदि दवा ने ठीक से काम नहीं किया या ज्यादा दिन हो गए 3 महीने से ज्यादा दिन हो गए और आप ने तब दवा लिया तो दवा ठीक से काम नहीं करेगी उस दशा में आपको डाक्टर के पास जाना ही हैं और फिर ज्यादा खर्च और घर वालो को पता चलने का डर ऐसी कंडीशन में 70% लड़के भाग खड़े होते हैं जो भी करे सोच समघ के करे आदि इसके अलावा एक और दवा आती हैं अनवांटेड 72 इसको सेक्स करने के बाद यदि आपको लगता हैं की गलती हो गयी तो 72 घंटे के अंदर ले लेना चाहिए 

2 > सेक्स एडिक्‍शन क्या है ?
जबाब : 
जब सेक्स करने के बाद भी संतुष्टि नहीं होती और मजबूरन वह दोबारा सेक्स करने के लिए परेशान होता है, यही सेक्स एडिक्‍शन है

3 > क्या लिंग के माप का सम्भोग क्रिया पर कुछ प्रभाव पड़ता है ?
जबाब :

सम्भोग परक या फिर प्रजनन के लिए किए जाने वाले कार्यों के लिए पुरूष के लिंग का माप काफी से बेहतर होता है। पुरूष को इस बात का पूरा भरोसा रखना चाहिए कि सम्भोग सुख या क्रिया से लिंग के माप का कोई सम्बन्ध नहीं होता। क्रिया का सम्बन्ध तो पुरूष की खड़ापन पाने और बनाये रखने की क्षमता या खड़ेपन अथवा बिना खड़ेपन के अपने आपको और अपने साथी को यौन परक सम्भोग का सुख देने में है अतः क्रिया, वस्तुतः माप पर नहीं - मांसपेशियों और प्रजनन अंगों की नाड़ी एवं रक्त आपूर्ति पर निर्भर रहती है। वास्तव में, यौन सम्भोग का सुख व्यक्ति की मनःस्थिति पर निर्भर करता है, अपनी और अपने साथी की जरूरतों के प्रति सम्मान पर निर्भर करता है। सम्भोग के दौरान, योनि का छिद्र किसी भी लिंग के लिए न तो बहुत छोटा होता है और न ही बहुत बड़ा क्योंकि यह एक 'खाली जगह' है जो कि मांसल तंतुओं से घिरी रहती है और सामान्यतः सभी माप के लिंगों को ग्रहण कर सकती है

4 क्या लिंग के साइज़ से फ़र्क पड़ता है ?
जबाब :
नहीं कोई फर्क नहीं पड़ता हैं 
उदहारण से समझे 
आप को बाइक चलाने नहीं आती हैं फिर आप बाइक चलाने सिख जाते हैं आपकी बाइक हैं 100 cc की आपको बाइक चला के मजा आता हैं आपको अपनी बाइक से कोई शिकायत नहीं फिर आप दूसरी बाइक लेते हैं 150 cc की कुछ दिन 150 cc की बाइक चलते हैं फिर 100 cc की बाइक चलाइये अब खुद बताईये cc से फर्क पड़ा ???? 
समझ आया नहीं आया तो पोगो देखो..

5 > क्‍या पीरियड में संभोग करना सुरक्षित है ?
जबाब :
बात जब प्रेम और यौन संबंधों की हो तो हर कोई उसका असीम सुख प्राप्‍त करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त करता है। लेकिन कई बार कुछ कारणवश आपका यौन संबंध स्‍थापित करने का मूड तब खराब हो जाता है जब आपकी पार्टनर पीरियड यानी मासिक धर्म से होती है। लोगों का मानना है कि पीरियड के दौरान संभोग करना सेहत के लिए बेहद खतरनाक है, लेकिन क्‍या यह बात वाकई में सत्‍य है या नहीं चलिये आज हम जानने की कोशिश करते हैं।

पहले बात करेंगे उस सर्वेक्षण की जो हाल ही में किया गया है। सर्वेक्षण में 1000 से ज्‍यादा लोगों से बात की गई और पूछा गया कि क्‍या वो उस दौरान संभोग करते हैं, जब उनकी पार्टनर के मेंसुरेशन चल रहे होते हैं। 90 प्रतिशत पुरुषों ने जवाब दिया नहीं वो उस दौरान संभोग नहीं करते, क्‍योंकि उन्‍हें लगता गंदगी महसूस होती है। वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि संभोग करते हैं, लेकिन मन में इंफेक्‍शन का डर बना रहता है। महिलाओं में 67 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वो मेंसुरेशन के दौरान सेक्‍स करती हैं या नहीं यह उनके पार्टनर पर निर्भर करता है, लेकिन पीरियड के दौरान सेक्‍स का मजा कई गुना बढ़ जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्‍होंने शुरुआत में अपनी पार्टनर से पीरियड के दौरान संभोग करने की कोशिश की, लेकिन अब नहीं करते। उनका मानना है कि ऐसे समय में संभोग करने से मानसिक तनाव सा बना रहता है। उस वजह से रोमांटिक नहीं हो पाते।
दिल्‍ली के मेहरौली में निजी प्रेक्टिस करने वाले डॉक्‍टर शैशेश कुमार श्रीवास्‍तव की मानें तो पीरियड के दौरान बिना कंडोम संभोग करने से दोनों को ही संक्रमण का खतरा बना रहता है। यही नहीं ऐसे समय में यौन जनित बीमारियों (सेक्‍सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज) के होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। इस दौरान संभोग करने से पुरुष से ज्‍यादा खतरा स्‍त्री को होता है। संभोग के कारण यूटरस से निकलने वाला द्रव्‍य पीछे की ओर चला जाता है और फिर जम जाता है, जो संक्रमण का कारण बनता है। इस वजह से यूटरस के अंदर इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्‍टर का कहना है कि इससे मेंसुरेशन पूरी तरह नहीं हो पाता है और उसकी साइकिल अधूरी रह जाती है। ठीक तरह से मेंसुरेशन नहीं होना भी यूटरस संबंधी बीमारियों का कारण है। पीरियड में संभोग करने से गर्भ ठहरता है, या नहीं इस पर डा. श्रीवास्‍तव का जवाब था हां। उन्‍होंने कहा कि पीरियड में संभोग करने से प्रेगनेंट होने के चांस सबसे ज्‍यादा होते हैं

6 > मैंने किसी लड़की के साथ असुरक्षित संभोग किया था, लेकिन उसके बाद पेशाब कर अपने लिंग को अच्छी तरह धो लिया था। क्या इससे मुझे रोग से बचने में सहायता मिलेगी ?
जबाब :
जी नहीं, पेशाब करने या अपने जननांगों को धो लेने से असुरक्षित संभोग करने के कारण रोग के लगने का जोखिम कम नहीं हो जाता है। यदि लड़की को कोई यौनसंचारित रोग है, तो हो सकता है वह आपको लग गया हो। आप, डॉक्टर के पास या चिकित्सालय जाएं और जांच कराएं। और अगली बार से कंडोम का प्रयोग करें।

7 > मेरे बॉयफ्रेंड गर्भनिरोध के लिए ‘लिंग को योनि से बाहर निकाल कर वीर्यपात करने’ की विधि अपनाना चाहते हैं। क्या यह सुरक्षित संभोग है?
जबाब :
जी नहीं, यह सुरक्षित नहीं है। हालांकि योनि में शुक्राणु तो प्रवेश नहीं करते, किंतु वीर्यपात से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ (प्री-कम) प्रवेश करते हैं। इससे आपको यौनसंचारित रोग होने या संचारित करने अथवा गर्भवती होने का जोखिम बना रहता है।

8 > क्या पहली बार में ही कोई लड़की गर्भवती हो सकती है ?
जबाब :
जी हाँ, पहली बार में ही किसी लड़के के साथ संभेाग करने से लड़की गर्भवती हो सकती हैं। चाहे उनका पहले कभी मासिक धर्म हुआ हो अथवा नहीं। इसलिए हमेशा कंडोम का प्रयोग करें।

9 > मैं बहुत जल्दी क्यों स्खलित हो जाता हूँ ?
जबाब :
सेक्स बहुत रोमांचक होता है, और वह भी पहली बार! कई लड़के न चाहते हुए भी जल्दी चरम आनंद (आर्गैज़्म) महसूस कर लेते हैं। इस बारे में चिंता न करें। जब आपको अधिक अनुभव हो जाएगा और आप अधिक तनावमुक्त रहेंगे तो आप स्खलन रोकना सीख जाते हैं। यदि आपको शर्मिंदगी महसूस होती है, तो इसे हल्के में लें। ऐसा कुछ कहें, जैसे कि, ‘आपने मुझे वास्तव में आनंद दे दिया!’ यदि आप ऐसी बातें कर हँस लेते हैं, तो ऐसा होना आपके लिए कोई समस्या नहीं बनेगी।

10 > यौनसंचारित रोग ( STD ) किसे कहते हैं ?
जबाब :
वीर्यपात से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ (लड़के के लिंग से निकलने वाले पारदर्शी तरल पदार्थ) (प्री-कम)) में एचआईवी (वह विशाणु जिससे एड्स होता है) तथा दूसरे यौनसंचारित रोग, जैसे कि क्लाइमेडिया, गोनोरिया, जेनिटल हर्पीज, जेनिटल वाटर्स, सिफलिस या ट्राइकोमोनियासिस हो सकते हैं। यदि आप गर्भनिरोधक गोली खाती हैं, तो यह आपको गर्भवती होने से तो बचाएगी, किंतु किसी यौनसंचारित रोग के होने से नहीं।

11 > मैंने हमेशा सुरक्षित सेक्स किया है फिर भी मुझे यौनसंचारित रोग लग गया है! यह कैसे संभव है ?
जबाब :
सुरक्षित संभोग करने का आशय, प्रायः सेक्स के दौरान कंडोम पहनने से और यह सुनिश्चित करने से है कि आपके मुंह में वीर्य या मासिक धर्म का खून न चला जाए। तब आप एड्स फैलाने वाले एचआईवी विषाणु तथा क्लेमाइडिया और गोनोरिया जैसे संक्रमणों से सुरक्षित रहते हैं।
फिर भी यौनसंचारित रोगों के विषाणु और जीवाणु दूसरे तरीकों से भी आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर एक-दूसरे का हस्तमैथुन करने से अथवा सेक्स किए बिना केवल जननांगों को छूने से। यहां तक कि जब आप हमेशा कंडोम को प्रयोग करते हैं तो भी यौनसंचारित रोग लगने की कुछ न कुछ संभावना बनी ही रहती है।

12 > मासिक धर्म के दौरान संभोग कितना सही होता हैं ? 
जबाब :
तमाम लोगों के लिये सेक्‍स एक आदत सी बन जाती है। कई बार ऐसा होता है कि बगैर संभोग किये उन्‍हें नींद नहीं आती, ऐसे में महिलाओं को खासी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म और कभी कभी संक्रमण के कारण महीने में करीब एक सप्‍ताह तक वो सेक्‍स नहीं कर पाती हैं। तमाम पुरुष ऐसे हैं, जो मासिक धर्म के दौरान पत्‍नी से सेक्‍स नहीं करते, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जो उस दौरान भी नहीं मानते।
यदि आपके पति ऐसे हैं, तो आप उन्‍हें रोक तो नहीं सकतीं, लेकिन हां कुछ सावधानियां जरूर बरत सकती हैं। और हां कुछ बातें भी आपको जानना बहुत जरूरी है। वैसे चिकित्‍सकों की सलाह हमेशा से यही रहती है कि पीरियड के दौरान महिलाओं को संभोग से परहेज करना चाहिये।

जरूरी बातें
- मेंस्‍ट्यूरेशन यानी मासिक धर्म के दौरान आप गर्भवती नहीं हो सकतीं, यह बात दिमाग से बिलकुल निकाल दीजिये।
- ऐसे में संभोग करने से प्रेगनेंट होने के चांस ज्‍यादा रहते हैं।
- ऐसे में संभोग करने से इंफेक्‍शन का खतरा भी बहुत ज्‍यादा रहता है।
- सेक्‍सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ यानी यौन संक्रमित बीमारियां लगने की आशंका भी ज्‍यादा रहती है।
- बिना कंडोम के संभोग करने से इंफेक्‍शन का खतरा ज्‍यादा रहता है।
- मासिक धर्म के पहले दो दिन संभोग से महिलाओं को तीव्र दर्द होता है।
सावधानियां
- मासिक धर्म के दौरान संभोग करते वक्‍त कंडोम का प्रयोग कतई मत भूलें।
- महिलाएं संभोग से पहले अपने यौन अंगों को अच्‍छी तरह धुल जें।
- यदि आपके पार्टनर ने कंडोम का प्रयोग नहीं किया है, तो संभोग के तुरंत बाद उनसे अपना लिंग धुलने के लिये कहें। अन्‍यथा इंफेक्‍शन का खतरा रहता है।
- संभोग से पहले अपना सेनीटरी नैपकिन बदलें।
- यदि आपकी पार्टनर पीरियड से है और पहला या दूसरा दिन है, तो आप धीरे-धीरे संभोग करें।
- महिलाएं रति नि‍ष्‍पत्ति यानी संभोग की चरम सीमा तक जाने अथवा ऑर्गैज्म से बचें।

13 > स्‍पर्म मोटिलिटी क्या हैं ?
जबाब :
ऐसा नहीं है कि महिला पार्टनर को प्रेगनेंट करने के लिए आपके वीर्य में शुक्राणु की मात्रा का अधिक होना जरूरी है बल्कि स्‍पर्म की क्‍वालिटी कैसी है, उस पर भी निर्भर करता है कि आप बाप बनेंगे या नहीं 
चाहे भले ही र्स्‍पम कितने भी ज्‍यादा क्‍यों न हों यदि आपके वीर्य में मात्रा से अधिक स्‍पर्म हैं, लेकिन कमजोर हैं और उनमें तेज़ दौड़ने की क्षमता नहीं है, तो भी वो अंडाशय में जाकर प्रजनन में असफल हो जाते हैं और वो व्‍यक्ति सब कुछ होते हुए भी पिता नहीं बन पाता है
विज्ञान कहता है कि प्रजनन (बच्‍चा पैदा करना) के लिए दो चीजें बहुत जरूरी हैं, जिन्‍हें हमेशा ध्‍यान रखियेगा पहला यह कि अंडाशय से मिलने के लिए आपके स्‍पर्म को ऊर्जावान होना जरूरी है और दूसरा उसे तेज़ गति से तैरना आना चाहिये यानी उसे तेज़ गति से अंडाशय में प्रवेश करना आना चाहिये इसी को स्‍पर्म मोटिलिटी कहते हैं यानी स्‍पर्म की गतिशीलता

14 > हीमेच्‍यूरिया किसे कहते हैं ?
जबाब :
हीमेच्‍यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्‍लड आने लगता है यूरीन गाढ़ा हो जाता है और उसमें से गंध आने लगती है
गुप्‍त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है
गुप्‍तांग में सूखापन: जरूरत से ज्‍यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने लगती हैं इस वजह से गुप्‍तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है यही नहीं इससे आगे चलकर बच्‍चा होने में भी दिक्‍कत होती है अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्‍छाएं कम होने लगती हैं ऐसा करने पर उन्‍हें संभोग में ज्‍यादा मजा नहीं आता और फिर उन्‍हें सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्‍कत होती है

15 > लिंग मे कड़ापन नही आता है क्या करू ?
जबाब :
लिँग मे कड़ापन ना आना यानी थिथलता
बढ़ती उम्र के साथ ये भी बढ़ती जाती है 
यदि आप तनाव मे है 
तो भी इसका असर होता है
लिँग मे खुन का दबाब बड़ने के कुछ समय के बाद दबाब कम होने लगता है इस अवस्था मे सेक्स की त्रिव इच्छा के बावजुद भी आदमी सेक्स नही कर पाता है

16 > गर्भधारण के लिए कैसे करें सेक्‍स ?
जबाब :
गर्भधारण के लिए दो पोजीशन में सेक्‍स करना फलदायक रहता है- 
1 मिशनरी पोजीशन: इस स्थिति में संभोग के समय पुरुष ऊपर की ओर होता है इस पोजीशन में संभोग करने से पुरुष का वीर्य सीधे स्‍त्री के गर्भाशय तक सीधा पहुंचता है पुरुष के ऊपर रहने से गर्भधारण आसान हो जाता है इसके विपरीत यदि स्‍त्री ऊपर की ओर रहती है, तो गर्भधारण की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं

2 हैंड एण्‍ड नी पोजीशन (डॉगी स्‍टाइल): इस पोजीशन में स्‍त्री घुटनों और हाथ के बल लेट जाती है और पुरुष पीछे की ओर से संभोग करता है ऐसी स्थिति में वीर्य आसानी से महिला के गर्भाशय तक आसानी से पहुंचता है 
यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो उपर्युक्‍त दोनों पोजीशंस पर संभोग करने के बाद कुछ देर आराम करें बेड पर कूदें नहीं चाहे जितने जरूरी काम क्‍यों न हों, संभोग के तुरंत बाद बिस्‍तर से उठने की जरूरत नहीं यदि आपने मिशनरी पोजीशन में सेक्‍स किया है, तो संभोग करते समय या फिर संभोग के बाद स्‍त्री अपनी कमर के नीचे तकिया लगा लें, ताकि वीर्य गुरुत्‍वाकर्षण बल के जरिए नीचे की ओर आसानी से पहुंच सके यदि संभोग के समय ही तकिया लगा लिया है तो अच्‍छा रहता है ऐसे में कम से कम आधे घंटे तक स्‍त्री को शांतिपूर्वक लेटे रहना चाहिए कुछ लोग मानते हैं कि संभोग के बाद यदि स्‍त्री पीठ के बल लेटकर अपने पैर ऊपर कर के थोड़ी देर लेटी रहे तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है ऐसा करना फलदायक हो सकता है हालांकि यह बात अभी तक सिद्ध नहीं हुई है 
कौन सा समय सही कुछ लोगों का मानना है कि दिन के समय सेक्‍स करने गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है इसके पीछे उनका तर्क यह होता है कि रात्रि की तुलना में दिन में वीर्य में शुक्राणु की संख्‍या अधिक होती है वहीं हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि गर्भधारण के लिए सेक्‍स का सही समय शाम पांच से सात बजे के बीच का होता है इस दौरान वीर्य में शुक्राणु की संख्‍या करीब 35 प्रतिशत तक ज्‍यादा होती है शाम का यह समय ऐसा होता है, जब महिला के अंडाशय ज्‍यादा जल्‍दी क्रिया करते हैं हालांकि यहां स्‍त्री को मासिक धर्म का ध्‍यान रखें इन पोजीशन में न करें सेक्‍स यदि आप गर्भधारण चाहती हैं, तो इन बातों को जरूर ध्‍यान रखें, जो आपको नहीं करनी हैं
पहली यह कि संभोग के दौरान महिला ऊपर नहीं हो ऐसे में शुक्राणु सर्विक्‍स के पास जमा हो जाते हैं और थोड़ी ही देर में वापस लौट आते हैं, जिस कारण वो अंडाशय तक पहुंच नहीं पाते इसके अलावा बैठकर, बगल में लेटकर और खड़े होकर सेक्‍स नहीं करें इन सभी स्थितियों में शुक्राणुओं के गर्भाशय के पास जमा होने की संभावना ज्‍यादा होती है हां कई बार वीर्य के निकलते समय शुक्राणु की गति अधिक होती है और ज्‍यादा संवेग होने के कारण शुक्राणु अपने लक्ष्‍य तक पहुंच जाते हैं और गर्भधारण हो जाता है

17 . एज़ूस्पर्मिया किसे कहते हैं ?
जबाब :
कई पुरूषों के वीर्य में शुक्राणुओं ही नहीं होते, इस स्थिति को एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है। इस समस्या के होने पर पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं। यह भी पुरूषों के लिए एक गंभीर सेक्स समस्या है।

19 > मुझे हस्तमैथुन की आदत हैं कैसे छोड़ू ?
जबाब : 
पहली बात आप अकेले नही है जो लड़कियो के हस्तमैथुन के बारे मे पहले ही लिख चुकी हु इसलिये यहा लिखना जरुरी नही समझती हु आप मेरी महिला हस्तमैथुन की पोस्ट देख सकते है बहुत सारे लोगो की आदत शादी के बाद छुट जाती जबकी कुछ लोग शादि के बाद भी करते है
दुसरी बात आखिर क्यो करते है लोग ऐसा
जबाब है उन्हे मजा आता है ऐसा करने से इसलिये करते है 
और भी है कारण इसके
शुरू शुरू मे जब आपकी उम्र 12 से 15 वर्ष के बिच होती है तब आप अपने दोस्तो से सुन कर के किताब मे या कही से हस्तमैथुन के बारे मे जानकर के
शुरूवात होती है छुने से फिर दबाने से कइ लोगो को तो ये याद भी नही होता है की उन्होने पहली बार हस्तमैथुन कब किया इस तरह से हस्तमैथुन की शुरूवात होती है 
अब ये काम धिरे धिरे बड़ता जाता है फिर आप लगभग रोज ही करना शुरू कर देते है फिर ये एक आदत बन जाती है जैसे आप नशा करते है

जैसे पान गुटका सिगरेट या चाय भी नशा है ये आदत कुछ दिन के बाद एक अनुष्ठान बन जाती है आपके लिये जैसे कुछ लोग अपने नाखून काटते है अपने दातो से कुछ जहा भी फ्रि हो के बैठे तो अपनी नाक मे उगँली डालते है चलो कोई काम नही है तो यही कर लिया जाये जबकी उन्हे पता है की ये एक गलत आदत है फिर भी वो करते है ऐसे ही हस्तमैथुन भी एक अनुष्ठान बन गया है आपके लिये चलो कोई काम नही है तो हस्तमैथुन ही कर ले याद रखे आदत चाहे कोई भी हो लग जाने के बाद जाती नही है कुछ लोग एक को छोड़ते है तो दुसरी आदत पकड़ लेते है जैसे गुटका खाते थे अब पान खाने लगे तो आदत छुटी कहा आपकी बस बदल लिया आपने ठिक ऐसै ही शादी हुई तो सेक्स करने लगे तो हस्तमैथुन छोड़ दिया 
हस्तमैथुन करने के और भी कारण 
1 ब्लु फिल्म देखेँगे तो इच्छा होगी फिर आप हस्तमैथुन करेँगे 
2 गर्ल फ्रेँड है लेकिन पास नही है आसानी से फोन पर बात करेँगे इच्छा होगी फिर हस्तमैथुन करेँगे
3 सेक्स की कहानी पड़ेंगे फिर इच्छा होगी फिर हस्तमैथुन करेँगे
4 आपके पास मौका भी है बहाने भि है जब इच्छा होगी आप हस्तमैथुन करेँगे 
5 हस्तमैथुन करने के बाद बस अब नही फिर थोड़ी देर बाद फिर
वही काम ये आदत मे सामिल हो गयी है जायेगी नही फिर आप कहेँगे छोड़ना तो चाहता हु लेकिन छुटती नही है 

हस्तमैथुन कम करे पोर्न से दुर रहे मन पर नियँत्रण रखे इसके लिये कोइ दवा नही आती है 

क्या होता है हस्तमैथुन करने से
यदि आप कभी कभी हस्तमैथुन करते है तो कोई फर्क नही पड़ता है लिँग पर 
लेकिन आप एक दिन मे 2 या 3 और 4 बार हस्तमैथुन करते है तो 
सेक्स करते है तो लिंग पर ज्यादा दबाब पड़ता है और आपका लिंग उसी के अनुसार दबाब पैदा करता है मगर जब आप हस्तमैथुन करते है तो लिँग पर दबाब की जरूरत नही पड़ती धिरे धिरे आपके लिंग मे दबाब पैदा करने की छमता कम हो जाती है कारण जब आप हाथ का इस्तेमाल करते है तो ज्यादा दबाब की जरूरत नही पड़ती है और आपका लिंग उसी हिसाब से काम करने की आदत सिख जाता है लिंग मे ढिलापन या थिथलता आ जाती है परेशान ना हो दवा के सेवन से ये ठिक हो जाता है 
हस्तमैथुन करते समय आप अपने जिस हाथ का प्रयोग करते है उसी तरफ लिंग का थोड़ा झुक जाना भी समान्य बात है 
तिसरा सवाल 
लिँग बड़ा करना है मोटा करना है
जबाब लिंग को बड़ा करना संभव नही जैसा है वैसा ही रहेगा इसकी कोई दवा नही आती है
25 वर्ष तक तक लिंग की लम्बाई और मोटाई बढ़ती है
शादी के बाद जब आप लगभग रोजाना सेक्स करेँगे तो आप के लिंग मे थोड़ा बदलाव आ जायेगा थोड़ा बड़ा हो जायेगा 
जो भी इस बात का दावा करता है की वो लिँग की लम्बाई या मेटाई ज्यादा कर देगा ठगी है सावधान ये संभव नही है 
लिँग मे कड़ापन लाने की दवा आती है टाइमिँग बड़ाने की दवा आती है लिँग को बड़ा या मोटा करने की नही
एक और सवाल आप लोगो का जिसे भी बहुत लोगो ने पुछा था 
शिघ्रपतन यानी जैसे ही लिंग योनी के पास या अन्दर जाता है 10 या 20 सेकेण्ड मे विर्यपात हो जाता है 
इसकी दवा आती है ये ठिक हो जाता है
आखिर मे कई लोगो का सवाल था की इसके लिये दवा का नाम बताये
जबाब
ज्यादातर अंग्रेजी दवा का अपना साइड इफेक्ट होता है ये साइड इफेक्ट अलग अलग लोगो पर अलग अलग हो सकता है या नही भी 
ये आपका रिश्क है 
बेशक आप सवाल करे लेकिन मजे लेने के लिए किये गए सवालो पे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया की उम्मीद रूचि से न करे
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