सुनो गल्स ! अपनी नंगी फ़ोटो लेने से पहले यह ज़रूर पढ़ लेना

प्रिय महिला मित्रो आप की एक अनजानी गलती आपकी जिंदगी नर्क बना सकती है

आज के दौर मे जो भी मोबाइल क्लीप ब्लु फिल्म एम एम एस आप देखती है

उस जगह आप भी हो सकती है जानिये कैसे

आप को जो भी करना है आप करो यार दोस्त बनावो उनके साथ सब कुछ करो मगर कभी भी कोई फोटो या विडियो ना बनावावो ना बनने दो आपका एक मिनट का बिरोध जो की थोड़ी देर के लिये बुरा तो लग सकता है आपके दोस्त को मगर आपकी जींदगी बचा सकता है 

मै मानती हु की आपके दोस्त अच्छे है और वो ऐसा कभी भी नही सोचते है और ना ही करेँगे लेकीन जब आप उन पलो को कैमरे मे कैद हो जाने देँगी फिर क्या होगा 
जब उनका मोबाइल चोरी हो जायेगा ?

या आपका भरोसा उन पर है ना की उनके दोस्तो पर 


अगर उनका कोई दोस्त किसी बहाने से उनका फोन ले लेता है और वो क्लीप ब्लुटुथ के माध्यम से ले ले फिर क्या होगा
आपको पुरी दुनिया नही जानती है लेकीन एक हजार लोग तो होँगे ही जो आप को पहचानते है अगर किसी एक के भी हाथ लग गयी वो क्लिप तो आप सोचो क्या होगा


भगवान ना करे अगर कभी आपका रिश्ता उनसे खत्म होता है तो आप ब्लैकमेल का शिकार हो सकती है ये जितनी विडियो आप देखती है ऐसे ही बनी है कोई अपना विडियो जान के नही डालता है


अब अगर मान लीजिये की उनकी मेमोरी पासवर्ड प्रोटक्टेड है तो बाजार मे सिर्फ 20 रूपये मे मेमोरी अनलाक हो जाती है 
फिर आपकी विडियो किस किस के हाथ लगेगी वो क्या करेगा ये आप भी नही जानती है और ना ही आपके दोस्त समझदारी मे ही सुरछा है आपकी इज्जत आपके हाथ है याद रखे लड़को का कुछ नही जाता है हर हाल मे नुकसान आपका ही होना है.
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सुरक्षित सेक्स

यदि आप चूमने एवं सहलाने से आगे बढ़ते हैं तो यह महत्वपूर्ण है की सेक्स सुरक्षित हो। यौन संचारित रोग एवं अनचाहे गर्भ से बचने के लिए हमेशा ही सुरक्षित सेक्स करना चाहिए।

यह असुरक्षित है

कण्डोम एवं अन्य किसी गर्भनिरोधन जैसे गोलियों के बिना संभोग (योनि में लिंग का प्रवेश)
कण्डोम के बिना गुदा मैथुन (गुदाद्वार में लिंग का प्रवेश)
लड़कों के लिए कण्डोम के बिना मुख मैथुन और लड़कियों के लिए डेन्टल डैम (जिसे वैजाइनल डैम भी कहते हैं - योनि को ढकने के लिए लेटेक्स का एक चैकोर टुकड़ा) के बिना मुख मैथुन
आपस में एक दूसरे के सेक्स के लिए खिलौने (सेक्स टॉय) को साफ़ किए बिना इस्तेमाल

यह सुरक्षित है


सहलाना, जीभ का इस्तेमाल करते हुए चूमना, गले लगाना, मालिश या मसाज करना, स्वयं का या अपने साथी का हस्तमैथुन
गुणवत्ता प्राप्त कण्डोम का इस्तेमाल करके संभोग (योनि में लिंग का प्रवेश)
संक्रमण से बचने के लिए गुणवत्ता प्राप्त कण्डोम एवं अनचाहे गर्भ से बचने के लिए किसी दूसरे प्रकार के गर्भनिरोधन जैसे गोलियों का प्रयोग करते हुए संभोग (योनि में लिंग का प्रवेश)
शुक्राणु या रक्त (उदाहरण के लिए माहवारी का रक्त) के मुख में गए बिना मुख मैथुन

डबल डच

सेक्स का सबसे सुरक्षित तरीका डबल डच है - यानी कण्डोम एवं किसी अन्य गर्भनिरोधन जैसे गोलियों का प्रयोग। कण्डोम यौन संचारित रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। दूसरे प्रकार का गर्भनिरोधन, जैसे गोलियाँ, अनचाहे गर्भ से बचाती हैं क्योंकि कण्डोम 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होता । गर्भनिरोधन भाग देखें।
यदि मुख मैथुन के समय किसी के मुख में शुक्राणु या रक्त नहीं जाता है तो वे एचआईवी के जोखिम से बचे रहते हैं। पर उन्हें तब भी हरपीज़ जैसे अन्य यौन संचारित रोग हो सकते हैं।

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प्रथम संभोग...

स्‍त्री का पूरा भविष्‍य उसके प्रथम काम अनुभव के प्रति हुई प्रतिक्रिया से अत्‍यधिक प्रभावित होता है। मनोचिकित्‍सकों ने स्‍त्री के प्रथम काम अनुभव पर विशेष जोर दिया है।
स्‍त्री के लिए सेक्‍स एक जटिल अनुभव
सेक्‍सजनित अनुभव स्त्रियों की जटिल स्थिति प्रतिबिंबित करते हैं। स्‍त्री अपने व्‍यक्तिगत जीवन में अपनी जाति विशेष की प्रबल इच्‍छाओं को व्‍यक्‍त नहीं कर सकती। वह तो अन्‍य जाति (पुरुष) के हाथों शिकार होती रहती है। उस जाति विशेष की रुचियां स्‍त्री की रुचियों से नितांत भिन्‍न होती हैं। अन्‍य प्राणियों की अपेक्षा मानव जाति की स्‍त्री में यह अंतर अधिक होता है।

वैजाइना व क्‍लाइटोरिस में अंतर से पैदा होता है द्वंद्व
योनि (वैजाइना) और भगशिश्‍न (क्‍लाइटोरिस) में असमानता के कारण यह अंतर स्‍पष्‍ट दिखाई पड़ता है। बचपन में भगशिश्‍न ही स्‍त्री की काम इच्‍छा का केंद्र होता है। कुछ मनोचिकित्‍सकों का कहना है कि बचपन से ही कुछ लड़कियों में यौन संवेदनशीलता रहती है। यह एक गौण विवादास्‍पद विषय है।

स्‍त्री कामोत्‍तेजना का केंद्र भगशिश्‍न
भगशिश्‍न की बनावट बचपन से बालिग होने तक एक-सी रहती है। भगशिश्‍न द्वारा स्‍त्री की कामोत्‍तेजना पुरुष की कामोत्‍तेजना की ही तरह बहुत कुछ यांत्रिक ढंग से घटित होती है। परोक्ष रूप से यह स्‍वाभाविक रतिक्रिया से संबंधित होती है। इसका जनन क्रिया से कोई संबंध नहीं होता है।

पुरुष के हस्‍तक्षेप से योनि बनता है काम केंद्र
योनिद्वार द्वारा ही पुरुष स्‍त्री में प्रवेश करता है और उसकी जनन शक्ति को सक्रिय करता है। पुरुष के हस्‍तक्षेप द्वारा ही मानो योनि काम उद्विग्‍नता का केंद्र बनता है। इस क्रिया को एक रूप में सीमा भंग भी कह सकते हैं। प्राचीन काल में वास्‍तविक व बनावटी बलात्‍कार द्वारा ही स्‍त्री को उसकी बचपन की दुनिया से दूर कर पत्‍नी की भूमिका में ढाला जाता था। वास्‍तव में यह एक तरह का बलप्रयोग है जो एक लड़की को औरत में परिवर्तित कर देता है। आज भी कुछ ऐसे ही शब्‍दों, जैसे- कौमार्य भंग करना, कन्‍या के कौमार्य को दूर करना आदि का प्रयोग होता है।

योनि स्राव से मिलती है यौन तृप्ति
किनसे की रिपोर्ट के अनुसार, शरीर रचना और चिकित्‍सा संबंधी अनेक प्रमाणों के अनुसार योनि के भीतरी भाग में शिराएं नहीं होती। बिना 'शून्‍य' किए योनि में शल्‍य क्रिया की जा सकती है। भगशिश्‍न में भीतरी आधार के पास योनि में कुछ शिराएं होती हैं।
बिना उस क्षेत्र (भगशिश्‍न) को उत्‍तेजित किए ही स्‍त्री को अपनी योनि में किसी वस्‍तु (पुरुष लिंग) के प्रवेश का अनुभव होता है, खासकर तब जब योनि की मांसलता कस जाती है। परंतु स्‍त्री को यौन तृप्ति योनि के स्राव होने से ही होती है, काम शिराओं की संवेदनशीलता से नहीं।

स्त्रियों को हस्‍तमैथुन से मिलती है तृप्ति
इसमें शक नहीं कि योनि रति आनंद का स्‍थान है। स्त्रियां भी हस्‍तमैथुन करती हैं क्‍योंकि इससे उन्‍हें तृप्ति मिलती है।

संपूर्ण नाड़ी मंडल से संबंधित है यौन क्रिया

यौन प्रक्रिया बड़ी ही जटिल है क्‍योंकि वह केवल शारीरिक और मानसिक अवस्‍थाओं पर ही आधारित नहीं है, बल्कि इससे पूरा नाड़ी मंडल संबंधित रहता है और व्‍यक्ति विशेष की संपूर्ण आनुभाविक स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है।

प्रथम संभोग से शुरू होता है काम क्रिया का नया सिलसिला 
प्रथम संभोग के बाद काम क्रिया का नया सिलिसिला प्रारंभ होता है। यह सिलसिला नए सिरे से नाड़ी मंडल को व्‍यवस्थित करना चाहता है। बचपन के काम केंद्र स्‍त्री के भगशिश्‍न को उत्‍तेजिक करने में कभी-कभी समय लगता है और यह भी संभव है कि इसे सफलतापूर्वक कभी भी उत्‍तेजित किया ही न जा सके। 

स्‍त्री दो तरीकों में से करती है अपनी पसंद का चुनाव
स्त्रियां दो तरीकों के बीच अपनी पसंद चुनती है। एक के अनुसार, स्‍त्री अपनी किशोर अवस्‍था की स्‍वतंत्रता को ज्‍यों का त्‍यों बनाए रखना चाहती है और दूसरे में स्‍त्री बिल्‍कुल पुरुष की हो जाती है और बच्‍चों को जन्‍म देना ही उसका मुख्‍य कार्य बन जाता है।
स्‍त्री केवल समर्पण करती है, लेकिन पुरुष के लिए यौन संतुष्टि स्‍वाभाविक परिणाम है


स्‍वाभाविक रति क्रिया में स्‍त्री पुरुष के ऊपर अवलंबित रहती है। जिस प्रकार पशु जगत में नर पशु ही आक्रामक भूमिका ग्रहण करता है, उसी प्रकार मानव जगत में भी पुरुष ही आगे बढ़ता है। स्‍त्री उसके आलिंगन पाश में जकड़ जाती है। लिंग में तनाव का अनुभव करने पर ही पुरुष स्‍त्री को ग्रहण कर सकता है।
*** वीर्यपतन के पश्‍चात पुरुष अशांति और परेशान करने वाले स्रोतों से मुक्‍त हो जाता है। मानो उसे पूर्ण शांति मिलती है।
*** चूंकि स्‍त्री 'अन्‍या' है, इसलिए उसकी निष्क्रियता पुरुष की स्‍वाभाविक क्रिया में बाधक नहीं बन पाती है। स्‍त्री केवल समर्पण कर देती है। एक निष्क्रिय स्‍त्री शरीर के साथ भी संभोग संभव है, लेकिन पुरुष की इच्‍छा की तुष्टि होना इसका स्‍वाभाविक परिणाम है।
***
प्रथम संभोग: विश्‍वास भी जगा सकता है और हीन भावना भी
पुरुष के प्रेम की तीव्रता से स्‍त्री में विश्‍वास जाग्रत होता है और इससे सर्वदा उसका हित ही होता है। चाहे उसकी उम्र 80 साल हो जाए, वह अपने को एक रात पुरुष की इच्‍छा को संतुष्‍ट करनेवाली भग्‍यशाली ही समझती है।

इसके विपरीत अनाड़ी प्रेमी या पति स्‍त्री में हीन भावना पैदा कर सकता है। ऐसी स्थिति में स्‍त्री की मानसिक अवस्‍था असंतुलित हो जाती है। वह विषाद से भरकर सेक्‍स के प्रति उदासीन और ठंडी हो जाती है।

कष्‍टप्रद प्रथम संभोग के कुछ उदाहरण
मनोचिकित्‍सक स्‍टेकल ने ऐसे अनेक उदाहरण प्रस्‍तुत किए हैं। एक स्‍त्री को कई वर्षों तक पीठ में दर्द होता रहा और वह ठंडी बनी रही क्‍योंकि विवाह की रात्रि में योनि क्षत के समय उसे बहुत दर्द हुआ था और पति ने उस पर धोखा देने का आरोप लगाया था। उसके कौमार्य पर शक किया था। दूसरे पति ने अपनी पत्‍नी के पैरों को मोटा व भद्दा कहा था, जिस कारण वह उसी समय ठंडी हो गई। यह 'ठंडापन' उसमें सारी उम्र बना रहा और उसके अंदर मानसिक विकार भी उत्‍पन्‍न हो गए। एक अन्‍य स्‍त्री ने बताया कि उसके पति ने किस प्रकार पाशविकता से योनिक्षत किया। ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं
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हर रोज़ पूरी ऊर्जा के साथ कैसे करें संभोग ?

कौन होगा जो हर रोज़ संभोग नहीं करना चाहेगा, लेकिन कई बार ऊर्जा साथ नहीं देती या फिर क्‍लाईमैक्‍स तक पहुंचने में दिक्‍कत आती है। या यूं कहिये कि सेक्‍स की चरम सीमा तक आप रोज़ रोज़ नहीं पहुंच पाते हैं, जिस वजह से रोज संभोग करने का मन नहीं करता।
हम यहां बतायेंगे कुछ ऐसी टिप्‍स जिन्‍हें फॉलो करने से आप हर रोज़ पूरी ऊर्जा के साथ संभोग कर सकेंगे। वो भी बिना मूड को खराब किये।

1. कंट्रोल-
कई पुरुषों में संभोग से पहले ही रतिनिष्‍पत्ति की समस्‍या होती है। उनका वीर्य संभोग से पहले ही स्‍खलित हो जाता है। इस वजह से वो संभोग नहीं कर पाते हैं। वैसे यह कोई बीमारी नहीं होती है। यह सिर्फ आपके मूड पर निर्भर करता है। कई बार आप संभोग से पहले ही इतने ज्‍यादा उत्‍तेजित हो जाते हैं कि आपका वीर्य डिस्‍चार्ज हो जाता है। इसके लिये जरूरी है खुद पर कंट्रोल। अगर आप खुद पर कंट्रोल रखते हैं, तो आप जितनी देर चाहें, उतनी देर संभोग कर सकते हैं।
खुद पर कंट्रोल करने के लिये संभोग से आधे घंटे पहले मैथुन कर लें। उसके बाद संभोग के दौरान जैसे ही क्‍लाईमैक्‍स तक पहुंचने वाले हों, वैसे ही रुक जायें। अपने ध्‍यान को दूसरी बातों की ओर ले जायें। अगर आप रुकना नहीं चाहते हैं, तो संभोग करते वक्‍त अपने दिमाग में उन बातों को सोचें जिनसे आपको तनाव हो सकता है। ऐसा करने से आप तुरंत डिस्‍चार्ज नहीं होंगे।
2. फोर प्‍ले-
जितनी ज्‍यादा देर तक आप फोर प्‍ले करेंगे, संभोग का मज़ा उतना ज्‍यादा होगा। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को फोर प्‍ले ज्‍यादा अच्‍छा लगता है। फोर प्‍ले का फायदा भी उन्‍हें ही ज्‍यादा मिलता है। ऐसा इसलिये क्‍योंकि पुरुष तो तीन-चार मिनट के अंदर डिस्‍चार्ज हो सकते हैं, लेकिन महिलाओं को चरम सीमा तक पहुंचने में समय लगता है। ऐसा करके आप अपनी पार्टनर को ज्‍यादा खुश रख सकते हैं।
3. संभोग की गति-
संभोग के वक्‍त अपनी गति को नियंत्रित रखने से आप ज्‍यादा देर तक संभोग कर सकते हैं। जोश में आकर होश खो देने से मज़ा किरकिरा हो सकता है। महिला अथवा पुरुष दोनों में जो भी व्‍यक्ति ऊपर होता है, उसी की जिम्‍मेदारी होती है गति पर नियंत्रण रखने की।
4. पार्टनर की मदद-
कई बार होता है कि पुरुष पहले ही स्‍खलित हो जाते हैं, जिस वजह से उनकी पार्टनर को कई बार निराशा हाथ लगती है। इसलिये बेहतर होगा यदि आप ऊपर की तीन टिप्‍स को अपनाते हुए संभोग करें। ऐसा करने से आपकी पार्टनर आपके साथ-साथ डिस्‍चार्ज होगी और संभोग का मज़ा कई गुना ज्‍यादा होगा। 

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काश कि आपको पता होते महिलाओं के ये सीक्रेट


बहुत सी ऐसी बातें है जिसकी चाहत हर महिला को होती है लेकिन वो स्‍वयं इन्हें अपनी जुबां से कभी नहीं कहती। जैसे उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें।


1. महिलाओं के सीक्रेट
महिलाओं का स्‍वभाव बहुत शार्मिला होता है। इसलिए उनके दिल की बात को जुबां तक आने में काफी समय लगता हैं। लेकिन बहुत सी बातें ऐसी है जो हर महिला चाहती हैं। जैसे अपने प्रेमी से प्‍यार और देखभाल की उम्‍मीद, साथ ही यह भी की उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें। आइये इसके अलावा महिलाओं की सिक्रेट के बारे में जानें।

2. अपनी तारीफ सुनना
महिलाओं को हमेशा उनकी तारीफ करने वाले पुरुष बहुत अच्‍छे लगते हैं। ऐसे में उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है जब प्रेमी उनमें किसी भी तरह का बदलाव दिखने पर तुरंत उनकी प्रशंसा करें। जैसे अगर महिला फिट दिखें, कोई नया हेयरकट करवाया हो या आकर्षक लगें,- तो उनकी तारीफ जरुर करें।

3. ध्यान रखने वाला पुरुष
महिलाओं को केयर करने वाले पुरुष बहुत पसंद होते है। महिलाएं संवेदनशील होती है इसलिए उन्‍हें ऐसे ही पुरुष बहुत अच्‍छे लगते है। जो परेशानी के समय उनकी अच्‍छे से देखभाल कर सकें।

4. कपड़ों से प्रभावित होना
ज्‍यादातर महिलाएं पुरूषों को उनके पहनावे से भी पसंद करती है। इसलिए पुरुषों को चाहिए कि वह महिलाओं को अपने कपड़ों से प्रभावित करने की कोशिश करें। पुरुषों को हमेशा अपने सौंदर्य और कपडों पर ध्यान देना चाहिए। अगर, महिलाएं आपको टाइट जींस में देखना पसंद करती है, तो उनके लिए ज्यादातर टाइट जींस पहनें।

5. पुराने संबंधों के बारे में जानना
अगर महिलाएं आप से आपके पुराने संबंधों के बारे में बात करना चाहे, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आपने कुछ गलत किया है। अपने संबंधों के बारे में बात करने से ना डरें। यह तो आप दोनों के लिए अच्छी बात है, क्‍योंकि सच्चाई और लंबी बातचीत आप लोगों को एक दूसरे के करीब ला सकती है।

6. सुझावों को थोपें नहीं
अकसर पुरुष महिलाओं की समस्‍या सुने बिना अपने सुझावों को उनपर थोपने लगते हैं। पुरुष, अपने राय को उन पर थोप कर उनकी दुनिया को सीमित कर देते हैं। इसलिए अगर वह किसी बात से परेशान है, तो उन्हें सलाह देने से पहले उनकी बात को अच्‍छे से सुनें।

7. रिश्‍ते में रोमांस
महिलाएं अपने रिश्‍ते की कद्र करने के साथ रिश्‍ते में रोमांस को निरंतर बनाये रखना चाहती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आपका रिश्‍ता चाहे वह 5 म‍हीने से हो या 5 सालों से उसमें रोमांस को हमेशा बनाये रखें।

8. कमियों को जानना
महिलाओं को प्रशंसा करने वाले पुरुषों के साथ-साथ कमियां बताने वाले पुरुष भी पसंद होते हैं। जैसे, अगर महिला लंबे समय तक काम करने के बाद काफी थक गई हैं और चिडचिडापन महसूस कर रहीं हैं तो उस समय उनकी कमी को बताने वाले पुरुष पसंद आते हैं।

9.  बातों को ध्‍यान से सुनना
महिलाएं अकसर यह जानने की कोशिश करती हैं कि उनकी बातों को आप कितनी ध्‍यान से सुनते हो और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिये महिलाओं से बात करते समय केवल सर हिलाना काफी नहीं है उनकी बात को महत्वपूर्ण ढंग से सुने।

10. सेक्‍स में उनकी चाहत
महिला अकसर सेक्‍स के बारे में बात करना और अपने साथी को खुश करना चाहती हैं। इसलिए आप भी सेक्‍स के दौरान वह करें जो महिला साथी चाहती है। इसके लिए विनम्र दृष्टिकोण अक्सर सबसे अच्छा होता है। पहले, यह पूछे कि वह क्या चाहती है। फिर अपनी इच्छा को सकारात्मक और सही तरीके से उनके सामने व्यक्त करें।

11. शिष्टता का व्‍यवहार
जब रोमांस की बात आती है तो बहुत सारी महिलाएं पुरुषों की पारंपरिक मर्दाना भूमिका ही पसंद करती है। जैसे लड़की बैठने के लिये खुद ही कुर्सी खीच सकती हो, लेकिन वह आपका इंतजार करती है कि आप उसको कुर्सी खींच कर दें। तो समय आ गया है कि आप उसकी नजरों में सज्जन पुरुष बन जाएं।

12. आपकी शर्ट उनके लिए प्यार का चुंबक
क्‍या आपकी महिला साथी आपके स्‍वेटर में सिकुड़ने या शर्ट में घुसने का प्रयास करती हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुष के पसीने की गंध से आरामदायक प्रभाव पड़ता है। क्‍या आप महिलाओं के इस सीक्रेट के बारे में जानते हैं.
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आपको नहीं मालूम होंगे कंडोम के ये 4 साइड इफेक्ट्स



कंडोम के प्रयोग से भी हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स।
इसके लगातार इस्तेमाल से हो सकती है एलर्जी भी।
योनि ग्रीवा में हो सकती है सूजन और घाव भी।
योनि की प्रतिरक्षा प्रणाली को पहुंचाता है नुकसान।

कंडोम प्रयोग के लाभ के बारे में अक्सर लोग जानते होते हैं, लेकिन कंडोम के भी कुछ ऐसे साइड इफेक्ट्स भी हैं इसकी लोगों को अमूमन कम ही जानकारी होती है। कंडोम न केवल आपकी सेक्स लाइफ को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि आपको यौन संबंधित बीमारियों का भी शिकार बना सकते हैं। आइए जानें, कंडोम के साइड इफेक्ट्स के बारे में-

दर्द एवं एलर्जी :
ऐसा देखा गया है कि लगातार अर्थात सप्ताह में दो से अधिक बार कंडोम का उपयोग करने से योनि की आंतरिक परत और झिली में संवेदनशीलता काम या समाप्त हो जाती है। जिसके कारण स्त्रियों की यौनि से स्खलित होने वाले प्राकृतिक लुब्रिकेंट (चिकनाई युक्त) दृव्यों का स्वत: स्खलन कम हो जाता है या पूरी तरह से बन्द हो भी जाता है। जिसके चलते योनि में खरास या सूखापन आता देखा गया है। जिसके कारण कंडोम का अधिक उपयोग करने वाली औरतों की योनि स्पर्श कातर (छुअन से ही दर्द महसूस होने वाली) हो जाती है। ऐसी स्थिति का सामना कर रही स्त्रियों द्वारा अपने प्रेमी या पति के साथ बिना कंडोम के सेक्स करने पर यौनि में असहनीय दर्द, जलन, एलर्जी और खुजली होना आम बात है।

योनि ग्रीवा में कट या घाव :
कंडोम का अधिक उपयोग करने से योनि ग्रीवा में कटाव और छिलन के साथ-साथ दर्दनाक घाव भी होते देखे गये हैं। जिसके चलते योनि में सूजन आ जाती है। योनि में सूजन की स्थिति में सेक्स करने पर योनि का आन्तरिक हिस्सा फिर से घायल हो जाता है। जिससे योनि में फिर से जख्म हरे हो जाते हैं। कई बार जख्मों से रक्तस्त्राव भी होने लगता है। जिसे स्त्रियां असमय मासिक चक्र का आना मानकर उसकी परवाह नहीं करती हैं और इस कारण से उन्हें जननांगों और गर्भाशय में भयंकर संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। जिससे योनि ग्रीवा या गर्भाशय में कैंसर होने का खतरा भी बना रहता है।

लेटेक्स के बने कंडोम :
लेटेक्स के बने कंडोम आपको गर्भधारण और यौन-संचारित रोगों से बचाते हैं। मगर ये ऐलर्जी का सबसे आम कारण हैं और सेक्स के दौरान स्त्री की प्रतिक्रिया को घटा देते हैं, क्योंकि इसके प्रयोग के कारण योनि में सूखापन और खुजली के रूप में देखा गया है। इसका सबसे खराब दुष्प्रभाव है, स्त्री-पुरुष के जननांगों पर गंभीर दाने या जानलेवा आघात के रूप में दिख सकता है।

योनि की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान :
प्रकृति ने जननांगों को खुद ही अपनी प्रतिरक्षा की जन्मजात शक्ति प्रदान की लेकिन यदि सप्ताह में दो बार से अधिक कंडोम का उपयोग किया जाता है तो कंडोम योनि की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके उपयोग से योनि की अम्लीय वातावरण में उथल-पुथल पैदा हो जाती है।
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संभोग के संबंध में पूछे जाने वाले आम सवाल


1. मैंने हमेशा सुरक्षित सेक्स किया है फिर भी मुझे यौनसंचारित रोग लग गया है! यह कैसे संभव है ?
सुरक्षित संभोग करने का आशय, प्रायः सेक्स के दौरान कंडोम पहनने से और यह सुनिश्चित करने से है कि आपके मुंह में वीर्य या मासिक धर्म का खून न चला जाए। तब आप एड्स फैलाने वाले एचआईवी विषाणु तथा क्लेमाइडिया और गोनोरिया जैसे संक्रमणों से सुरक्षित रहते हैं।
फिर भी यौनसंचारित रोगों के विषाणु और जीवाणु दूसरे तरीकों से भी आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर एक-दूसरे का हस्तमैथुन करने से अथवा सेक्स किए बिना केवल जननांगों को छूने से। यहां तक कि जब आप हमेशा कंडोम को प्रयोग करते हैं तो भी यौनसंचारित रोग लगने की कुछ न कुछ संभावना बनी ही रहती है।
2. पहली बार संभोग किस उम्र में ?
कोई भी व्‍यक्ति जीवन में पहली बार संभोग कब करता है ? यह सवाल यदि आपसे पूछें तो शायद आप तेजी से जवाब देंगे- 26 से 28 वर्ष। यह जवाब अगर आप 20 साल पहले देते, तो शायद सही होता, लेकिन आज नहीं है। जी हां पिछले दो दशकों में पहली बार संभोग करने की औसतन उम्र में गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि ये आंकड़े विभिन्‍न देशों और लाइफस्‍टाइल पर निभर करते हैं।
जीवन भर संभोग नहीं करने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्‍या बहुत कम होती है। ब्रिटेन में हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक ब्रिटेन में पहली बार संभोग की उम्र 25 वर्ष से घटकर 16 व 17 साल हो गई है। शोध में पाया गया कि अधिकांश टीनेजर्स 15 साल की उम्र में ही संभोग कर चुके होते हैं। अफसोस की बात यह है कि अधिकांश टीनेजर अज्ञानतावश कंडोम का इस्‍तेमाल नहीं करते।
इंदिरा गांधी मुक्‍त विश्‍वविद्याल यके काउंसिलर व लखनऊ के श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के रीडर डा. आलोक चांटिया से हमने इस मुद्दे पर बात की तो उन्‍होंने कहा कि पहली बार संभोग करने की उम्र में गिरावट का सबसे बड़ा कारण टीनेजर्स में यौन जनित बीमारियों व यौन अपराधों के बारे में जानकारी का कम होना है। उन्‍होंने कहा कि भारत में ऐसा कोई अध्‍ययन फिलहाल तो नहीं किया गया है, लेकिन हां अगर अध्‍ययन किया जाए, तो पहली बार संभोग करने की उम्र 17 भले ही ना हो, 23 वर्ष जरूर होगी।
डा. चांटिया ने कहा कि जिस तरह टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट व अन्‍य मीडिया में कंडोम और आई-पिल्‍स का खुलकर प्रचार किया जा रहा है वो गलत है। क्‍योंकि कंडोम और आई-पिल्‍स आदि के बारे में जानने के बाद टीनेजर्स के मन से डर खत्‍म हो जाता है। जबकि पहले ऐसा नहीं था। 20 साल पहले भारत में टीनेजर्स आपस में यौन संबंधों की बात तक करना पसंद नहीं करते थे। डा. चांटिया का कहना है कि हमारा देश एचआईवी-एड्स की रोकथाम के लिए जिस प्रकार कंडोम का प्रचार कर रहा है, उससे आज की युवा पीढ़ी भटकती जा रही है।
3. मैंने किसी लड़की के साथ असुरक्षित संभोग किया था, लेकिन उसके बाद पेशाब कर अपने लिंग को अच्छी तरह धो लिया था। क्या इससे मुझे रोग से बचने में सहायता मिलेगी ?
जी नहीं, पेशाब करने या अपने जननांगों को धो लेने से असुरक्षित संभोग करने के कारण रोग के लगने का जोखिम कम नहीं हो जाता है। यदि लड़की को कोई यौनसंचारित रोग है, तो हो सकता है वह आपको लग गया हो। आप, डॉक्टर के पास या चिकित्सालय जाएं और जांच कराएं। और अगली बार से कंडोम का प्रयोग करें।

4. मेरे बॉयफ्रेंड गर्भनिरोध के लिए ‘लिंग को योनि से बाहर निकाल कर वीर्यपात करने’ की विधि अपनाना चाहते हैं। क्या यह सुरक्षित संभोग है ?
जी नहीं, यह सुरक्षित नहीं है। हालांकि योनि में शुक्राणु तो प्रवेश नहीं करते, किंतु वीर्यपात से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ (प्री-कम)  प्रवेश करते हैं। इससे आपको यौनसंचारित रोग होने या संचारित करने अथवा गर्भवती होने का जोखिम बना रहता है।
•यौनसंचारित रोग
वीर्यपात से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ ( लड़के के लिंग से निकलने वाले पारदर्शी तरल पदार्थ ) ( प्री-कम )) में एचआईवी ( वह विशाणु virus जिससे एड्स aids होता है ) तथा दूसरे यौनसंचारित रोग, जैसे कि क्लाइमेडिया, गोनोरिया, जेनिटल हर्पीज, जेनिटल वाटर्स, सिफलिस या ट्राइकोमोनियासिस हो सकते हैं। यदि आप गर्भनिरोधक गोली खाती हैं, तो यह आपको गर्भवती होने से तो बचाएगी, किंतु किसी यौनसंचारित रोग के होने से नहीं।
•गर्भधारण
गर्भनिरोध के लिए ‘लिंग को योनि से बाहर निकाल कर वीर्यपात करने’ की विधि, (जिसे कोइटस इन्टरप्टस) भी कहते हैं, गर्भनिरोध का बहुत असरदार तरीका नहीं है। वीर्यपात से पहले निकलने वाले तरल पदार्थ में भी कोई शुक्राणु कोशिका मौज़ूद हो सकती है। इससे भी अधिक ज़रूरी बात यह है कि इसमें लड़के को समय का अनुमान लगाने में गलती हो सकती है, और हो सकता है लिंग को बाहर निकालने में देर हो जाए।

5. क्या पहली बार संभोग करते समय दर्द हेाता है ?
ऐसा होना ज़रूरी नहीं है। यदि लड़की तनावमुक्त और उत्तेजित है तो इसमें दर्द नहीं होता। यदि आप बहुत तनाव में हैं तो योनि सूखी और तनावयुक्त रह सकती है। इससे इस बात की अधिक संभावना होती है कि झिल्ली टूट जाएगी और संभोग कष्टदायक हो जाएगा। पहली बार आप अक्सर घबराए हुए होते हैं, इसलिए ऐसा आसानी से हो सकता है। लेकिन यदि आप दोनों कोई जल्दबाज़ी नहीं करते, तो इसमें दर्द नहीं हेाता है।
क्यों होता है संभोग के दौरान दर्द
भारतीय समाज में लडकी की परवरिश ऎसे माहौल में होती है कि उसके मन में संभोग को लेकर डर बैठा होता है। पहली बार संभोग से कई तरह के मिथ जुडे हुए हैं। लोगों का ऎसा मनोविज्ञान है कि पहले संभोग के समय में लडकियों को काफी दर्द होता है। इस दौरान ब्लीडिंग को लेकर भी अनेक तरह की भ्रांतियां हमारे समाज में मौजूद हैं। क्या सचमुच पहला संभोग कष्टदायक होता है ?
संभोग करने की स्थिति से भी दर्द का कुछ नाता हैक् ऎसे कुछ भ्रम लोगों के मन में अक्सर रहते हैं। कैसे आप इस दर्द से निजात पाकर सेक्स संबंधों का आनंद ले सकते हैं और अपने रिश्तों को सामान्य बना सकते हैं।
आइए जानें क्यों होता है संभोग के दौरान दर्द ?
इससे जुडी बातें सच हं या ये सिर्फ एक मिथ है ?
इस दर्द को मेडिकल टर्म में क्या कहते हैंक् संभोग के दौरान होने वाले दर्द को मेडिकल की भाषा में दाईस्पेरेनिया कहते हैं। यह ऎसा दर्द है जो एक बार होने पर बार-बार हो सकता है और इस दर्द का असर महिला-पुरूषों के रिश्ते पर बहुत बुरा पडता है।
क्यों होता है दर्द क वास्तव में पहली बार संभोग के समय महिलाओं को होने वाले दर्द का मुख्य कारण योनि का बहुत ज्यादा टाइट होना है। ऎसा तब होता है जब योनि की मांसपेशियां खिंच जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। ऎसी स्थिति में संभोग के समय महिला को बहुत अधिक दर्द होता है। ऎसा उन स्त्रयों के साथ होने की संभावना रहती है जो सेक्स संबंधों को बहुत बुरा मानती हैं और संभोग के समय पुरूष के साथ सहयोग नहीं करती। इसका मनोवैज्ञानिक असर ये होता है कि संभोग के समय योनि की मांसपेशिया सिकुड जाती हैं और तेज दर्द होता है।
योनि में किसी भी तरह का इंफेक्शन भी संभोग के समय दर्द का एक बहुत बडा कारण है। अक्सर योनि के आकार में परिवर्तन हो जाता है जिसे एंड्रियोमेट्रियोसिस कहते हैं।  यदि आपको भी संभोग के दौरान दर्द होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
संभोग के दौरान होने वाले दर्द का एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है। लडकियों की परवरिश बचपन से ही इस तरह से की जाती है कि सेक्स को लेकर उनके मन में डर बैठ जाता है। वह सेक्स के नाम से ही घबराने लगती हैं और उन्हें अपनी किशोरावस्था और युवावस्था के दौरान यह भी सुनने को मिलता है कि पहली बार किया गया संभोग बहुत कष्टदायक होता है और इस दौरान खूब ब्लीडिंग भी होती है। लंबे समय तक यह भी माना जाता रहा है कि यदि पहली बार संभोग के दौरान ब्लीडिंग न हो तो लडकी पहले सेक्स कर चुकी है। ये तमाम बातें लडकी के मन में मनोवैज्ञानिक रूप से संभोग के प्रति डर पैदा कर देती है और इस तरह की लडकियों को पहली बार संभोग के दौरान अक्सर दर्द की शिकायत होती है।
दर्द न हो इसके लिए क्या करना चाहिएक् यदि आप चाहते हैं कि आपको संभोग के दौरान दर्द ना हो तो आपको कुछ सेक्स पोजीशंस का इस्तेमाल पहली बार संभोग के दौरान करना चाहिए और आपको अपने मन से संभोग में होने वाले दर्द व अन्य मिथों को दूर कर देना चाहिए। इन सबके बावजूद भी आपको संभोग के दौरान दर्द से गुजरना पड रहा है तो आप डॉक्टर ही सलाह लें।

6. कौमार्य  (कुवांरापन ) किसे कहते है ?
कोई लड़की या लड़का कुंवारा तब कहा जाता है जब उन्होंने कभी भी संभोग (योनि में लिंग का प्रवेश कराकर किया जाने वाला सेक्स) न किया हो। इसीलिए जब आप पहली बार योनि-संभोग करते हैं तो लोग कहते हैं कि ‘आपने अपना कौमार्य खो दिया है’। यह सुनिश्चित कर लें कि आपके साथी को इस बात का पता है कि आप पहली बार संभोग करने जा रहे हैं, जिससे आप कोई जल्दबाज़ी न करें और धीरे-धीरे तथा सौम्यता से आगे बढ़ें।

7. मैं बहुत जल्दी क्यों स्खलित हो जाता हूँ ?
सेक्स बहुत रोमांचक होता है, और वह भी पहली बार! कई लड़के न चाहते हुए भी जल्दी चरम आनंद (आर्गैज़्म) महसूस कर लेते हैं। इस बारे में चिंता न करें। जब आपको अधिक अनुभव हो जाएगा और आप अधिक तनावमुक्त रहेंगे तो आप स्खलन रोकना सीख जाते हैं। यदि आपको शर्मिंदगी महसूस होती है, तो इसे हल्के में लें। ऐसा कुछ कहें, जैसे कि, ‘आपने मुझे वास्तव में आनंद दे दिया!’ यदि आप ऐसी बातें कर हँस लेते हैं, तो ऐसा होना आपके लिए कोई समस्या नहीं बनेगी।

8. मुझे चरम आनंद ( आर्गैज़्म ) क्यों नहीं महसूस होता ?
लड़कियों को अक्सर संभोग के दौरान चरम आनंद महसूस नहीं होता। योनि में केवल लिंग के अंदर-बाहर करने से टिठनी उत्तेजित नहीं होती। यदि आपको चरम आनंद महसूस करने की इच्छा है तो अपनी टिठनी को स्वयं छूएं, या अपने साथी को ऐसा करने को कहें। केवल संभोग करने के समय ही आपको चरम आनंद महसूस करने का समय नहीं होता। आपके साथी संभोग के पहले या बाद में भी आपके टिठनी को उत्तेजित कर आपको चरम आनंद महसूस करा सकते हैं।

9. क्या पहली बार में ही कोई लड़की गर्भवती हो सकती है ?
जी हाँ, पहली बार में ही किसी लड़के के साथ संभेाग करने से लड़की गर्भवती हो सकती हैं। चाहे उनका पहले कभी मासिक धर्म हुआ हो अथवा नहीं। इसलिए हमेशा कंडोम का प्रयोग करें
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ओशो वाणी : सम्भोग से समाधि की ओर

एक बहुत अद्भुत व्‍यक्‍ति हुआ है। उस व्‍यक्‍ति का नाम था नसीरुद्दीन एक दिन सांझ वह अपने घर से बाहर निकलता था मित्रों से मिलने के लिए। तभी द्वार पर एक बचपन का बिछुड़ा मित्र घोड़े से उतरा। बीस बरस बाद वह मित्र उससे मिलने आया था। लेकिन नसीरुद्दीन ने कहा कि तुम ठहरो घड़ी भर मैंने किसी को बचन दिया है। उनसे मिलकर अभी लौटकर आता हूं। दुर्भाग्‍य कि वर्षो बाद तुम आये हो और मुझे घर से अभी जाना पड़ रहा है।, लेकिन मैं जल्‍दी ही लौट आऊँगा। उस मित्र ने कहां, तुम्‍हें छोड़ने का मेरा मन नहीं है, वर्षो बाद हम मिले है। उचित होगा कि मैं भी तुम्‍हारे साथ चलू। रास्‍ते में तुम्‍हें देखूँगा भी, तुमसे बात भी कर लुंगा। लेकिन मेरे सब कपड़े धूल में हो गये है। अच्‍छा होगा, यदि तुम्‍हारे पास दूसरे कपड़े हों तो मुझे दे दो। वह फकीर कपड़े की एक जोड़ी जिसे बादशाह ने उसे भेट की थी—सुंदर कोट था, पगड़ी थी, जूते थे। वह अपने मित्र के लिए निकाल लाया। उसने उसे कभी पहना नहीं था। सोचा था; कभी जरूरत पड़ेगी तो पहनूंगा। फिर वह फकीर था। वे कपड़े बादशाही थे। हिम्‍मत भी उसकी पहनने की नहीं पड़ी थी। मित्र ने जल्‍दी से वे कपड़े पहन लिए।

जब मित्र कपड़े पहन रहा था, तभी नसीरुद्दीन को लगा कि यह तो भूल हो गयी। इतने सुंदर कपड़े पहनकर वह मित्र तो एक सम्राट मालूम पड़ने लगा। और नसरूदीन उसके सामने एक फकीर, एक भिखारी मालूम पड़ने लगा। सोचा रास्‍ते पर लोग मित्र की तरफ ही देखेंगे,जिसके कपड़े अच्‍छे है। लोग तो सिर्फ कपड़ों की तरफ देखते है और तो कुछ दिखायी नहीं पड़ता है। जिनके घर ले जाऊँगा वह भी मित्र को ही देखेंगे, क्‍योंकि हमारी आंखे इतनी अंधी है। कि सिवाय कपड़ों के और कुछ भी नहीं देखती। उसके मन में बहुत पीड़ा होने लगी। कि यह कपड़े पहनाकर मैंने एक भूल कर ली। लेकिन फिर उसे ख्‍याल आया कि मेरा प्‍यारा मित्र है, वर्षों बाद मिला है। क्‍या अपने कपड़े भी मैं उसको नहीं दे सकता। इतनी नीच इतनी क्षुद्र मेरी वृति है। क्‍या रखा है कपड़ों में। यही सब अपने को समझाता हुआ वह चला, रास्‍ते पर नजरें उसके मित्र के कपड़ों पर अटकी रही। जिसने भी देखा, वहीं गोर से देखने लगा। वह मित्र बड़ा सुंदर मालूम पड़ रहा था। जब भी कोई उसके मित्र को देखता, नसरूदीन के मन में चोट लगती कि कपड़े मेरे है और देखा मित्र जा रहा है। फिर अपने को समझाता कि कपड़े क्‍या किसी के होते है, में तो शरीर तक को अपना नहीं मानता तो कपड़े को अपना क्‍या मानना है, इसमें क्‍या हर्ज हो गया है। समझाता-बुझाता अपने मित्र के घर पहुंचा। भीतर जाकर जैसे ही अन्‍दर गया, परिवार के लोगों की नजरें उसके मित्र के कपड़ों पर अटक गई। फिर उसे चोट लगी, ईर्ष्‍या मालूम हुई कि मेरे ही कपड़े और मैं ही उसके सामने दीन हीन लग रहा हूं। बड़ी भूल हो गई। फिर अपने को समझाया फिर अपने मन को दबाया। घर के लोगों ने पूछा की ये कौन है, नसरूदीन ने परिचय दिया। कहा, मेरे मित्र है बचपन के बहुत अद्भुत व्‍यक्‍ति है। जमाल इनका नाम है। रह गये कपड़े, सो मेरे है।

घर के लोग बहुत हैरान हुए। मित्र भी हैरान हुआ। नसरूदीन भी कहकर हैरान हुआ। सोचा भी नहीं था कि ये शब्‍द मुहँ से निकल जायेंगे। लेकिन जो दबाया जाता है, वह निकल जाता है। जो दबाओ, वह निकलता है; जो सप्रेम करो, वह प्रकट होगा। इसलिए भूल कर भी गलत चीज न दबाना। अन्‍यथा सारा जीवन गलत चीज की अभिव्‍यक्‍ति बन जाता है। वह बहुत घबरा गया। सोचा भी नहीं था कि ऐसा मुंह से निकल जाएगा। मित्र भी बहुत हतप्रभ रह गया। घर के लोग भी सोचने लगे। यह क्‍या बात कही। बाहर निकल कर मित्र ने कहा, अब मैं तुम्‍हारे साथ दूसरे घर न जाऊँगा। यह तुमने क्‍या बात कहीं। नसरूदीन की आंखों में आंसू आ गये। क्षमा मांगने लगा। कहने लगा भूल हो गई। जबान पलट गई। लेकिन जबान कभी नहीं पलटती है। ध्‍यान रखना, जो भी तर दबा हो वह कभी भी जबान से निकल जाता है। जबान पलटती कभी नहीं। तो वह कहने लगा क्षमा कर दो, अब ऐसी भूल न होगी। कपड़े में क्‍या रखा है। लेकिन कैसे निकल गई ये बात,मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कपड़े किसके है। लेकिन आदमी वहीं नहीं कहता, जो सोचता है, कहता कुछ और है सोचता कुछ और है। कहता था मैंने तो कुछ सोचा भी नहीं, कपड़े का तो मुझ ख्‍याल भी नहीं आया। यह बात कैसे निकल गई। जब कि घर से चलने में और घर तक आने में सिवाय कपड़े के उसको कुछ भी ख्‍याल नहीं आया था। आदमी बहुत बेईमान हे। जो उसके भीतर ख्‍याल आता है। कभी कहता भी नहीं। और जो बहार बताता है, वह भीतर बिलकुल नहीं होता है। आदमी सरासर झूठ है। मित्र ने कहां—मैं चलता हूं तुम्‍हारे साथ लेकिन अब कपड़े की बात न उठाना। नसरूदीन ने कहा, कपड़े तुम्‍हारे ही हो गये। अब मैं वापस पहनूंगा भी नहीं। कपड़े में क्‍या रखा है। कह तो वह रहा था कि कपड़े में क्‍या रखा है, लेकिन दिखाई पड़ रहा था कि कपड़े में ही सब कुछ रखा है। वे कपड़े बहुत सुंदर थे। वे मित्र बहुत अद्भुत मालूम पड़ रहा था। फिर चले रास्‍ते पर। और नसरूदीन फिर अपने को समझाने लगा की कपड़े दे ही दूँगा मित्र को। लेकिन जितना समझता था, उतना ही मन कहता था कि एक बार भी तो पहने नहीं। दूसरे घर तक पहुंचे,संभलकर संयम से। संयमी आदमी हमेशा खतरनाक होता हे। क्‍योंकि संयमी का मतलब होता है कि उसने कुछ भीतर दबा रखा है। सच्‍चा आदमी सिर्फ सच्‍चा आदमी होता है। उसके भीतर कुछ भी दबा नहीं रहता है। संयमी आदमी के भीतर हमेशा कुछ दबा होता है। जो ऊपर से दिखाई देता है, ठीक उलटा उसके भीतर  दबा होता है। उसी को दबाने की कोशिश में वह संयमी हो जाता है। संयमी के भीतर हमेशा बारूद है, जिसमें कभी भी आग लग जाये तो बहुत खतरनाक है। और चौबीस घंटे दबाना पड़ता है उसे, जो दबाया गया है। उसे एक क्षण को भी फुरसत दी, छुट्टी की वह बहार आ जायेगा। इस लिए संयमी आदमी को अवकाश कभी नहीं होता। चौबीस घंटे जब तक जागता है। नींद में बहुत गड़बड़ हो जाती हे। सपने में सब बदल जाता है। और जिसको दबाया है वह नींद में प्रकट होने लगता है। क्‍योंकि नींद में संयम नहीं चलता। इसीलिए संयमी आदमी नींद में डरता है। आपको पता है, संयमी आदमी कहता है क्‍या सोना। इसके अलावा उसका कोई कारण नहीं है। नींद तो परमात्मा का अद्भुत आशीर्वाद है। लेकिन संयमी आदमी नींद से डरता है। क्‍योंकि जो दबाया है, वह नींद में धक्‍के मारता है। सपने बनकर आता है।

भूल का नियम है कि वह हमेशा अतियों पर होती है। एक्‍सट्रीम से बचो तो दूसरे एक्‍सट्रीम पर हो जाती है। भूल घड़ी के पैंडुलम की तरह चलती है। एक कोने से दूसरे कोने पर जाती है। बीच में नहीं रुकती। भोग से जायेगी तो एकदम त्‍याग पर चली जायेगी। एक बेवकूफी से छूटी दूसरी बेवकूफी पर पहुंच जायेगी। जो ज्‍यादा भोजन से बचेगा, वह उपवास करेगा। और उपवास ज्‍यादा भोजन से भी बदतर हे। क्‍योंकि ज्‍यादा भोजन भी आदमी दो एक बार कर सकता है। लेकिन उपवास करने वाला आदमी दिन भर मन ही मन भोजन करता है। वह चौबीस घंटे भोजन करता रहता है। एक भूल से आदमी का मन बचता है तो दूसरी भूल पर चला जाता है। अतियों पर वह डोलता है। एक भूल की थी कि कपड़े मेरे है। अब दूसरी भूल हो गई कि कपड़े उसी के है, तो साफ हो जाता है कि कपड़े उसके बिलकुल नहीं है। और बड़े मजे की बात है कि जोर से हमें वही बात कहनी पड़ती है, जो सच्‍ची नहीं होती है। अगर तुम कहो कि मैं बहुत बहादुर आदमी हूं तो समझ लेना कि तुम पक्‍के नंबर के कायर हो। अभी हिंदुस्‍तान पर चीन का हमला हुआ। सारे देश में कवि हो गये, जैसे बरसात में मेंढक पैदा हो जाते है। ‘हम सोये हुए शेर है, हमें मत छेड़ों।‘ कभी सोये हुए शेर ने कविता की है कि हमको मत छेड़ों, कभी सोये हुऐ शेर को छेड़ कर देखो तो पता चल जाएगा। कि छेड़ने का क्‍या मतलब होता है। लेकिन हमारा पूरा मुल्‍क कहने ला कि हम सोये हुऐ शेर है। हम ऐसा कर देंगे,वैसा कर देंगे। चीन लाखों मील दबा कर बैठ गया है और हमारे सोये शेर फिर से सो गये है। कविता बंद हो गई है। यह शेर होने का ख्‍याल शेरों को पैदा नहीं होता। वह कायरों को पैदा होता है। शेर-शेर होता है। चिल्‍ला चिल्‍लाकर कहने की उसे जरूरत नहीं होती।

कह तो दिया नसरूदीन ने कि कपड़े—कपड़े इन्‍हीं के है। लेकिन सुन कर वह स्‍त्री तो हैरान हुई। मित्र भी हैरान हुआ कि फिर वही बात। बाहर निकल कर उसे मित्र ने कहा कि क्षमा करो, अब मैं लौट जाता हूं। गलती हो गई है कि तुम्‍हारे साथ आया। क्‍या तुम्‍हें कपड़े ही दिखाई पड़ रहे है। नसरूदीन ने कहा, मैं खुद भी नहीं समझ पाता। आज तक जिंदगी में कपड़े मुझे दिखाई नहीं पड़े। यह पहला ही मौका है। क्‍या हो गया मुझे। मेरे दिमाग में क्‍या गड़बड़ हो गई। पहले एक भूल हो गई थी। अब उससे उलटी भूल हो गई। अब मैं कपड़ों की बात ही नहीं करूंगा। बस एक मित्र के घर और मिलना है फिर घर चल कर आराम से बैठे गे। और एक मौका मुझे दे दो। नहीं तो जिंदगी भी लिए अपराध मन में रहेगा कि मैंने मित्र के साथ कैसा दुर्व्‍यवहार किया। मित्र साथ जाने को राज़ी हो गया। सोचा था अब और क्‍या करेगा भूल। बात तो खत्‍म हो ही गई हे। दो ही बातें हो सकती थी। और दोनों बातें हो गई है। लेकिन उसे पता न था भूल करने वाले बड़े इनवैटिव होते है। नयी भूल ईजाद कर लेते है। शायद आपको भी पता न हो। वे तीसरे मित्र के घर गये। अब की बार तो नसरूदीन अपनी छाती को दबाये बैठा है कि कुछ भी हो जाये, लेकिन कपड़ों की बात न निकालूंगा। जितने जोर से किसी चीज को दबाओ, उतने जोर से वह पैदा होनी शुरू होती है। किसी चीज को दबाना उसे शक्‍ति देने का दूसरा नाम है। दबाओ तो और शक्‍ति मिलती है उसे। जितने जोर से आप दबाते है उस जोर में जो ताकत आपकी लगती है वह उसी में चली जाती है। जिस को आप दबाते हो। ताकत मिल गई उसे। अब वह दबा रहा है और पूरे वक्‍त पा रहा है कि मैं कमजोर पड़ता जा रहा हूं। कपड़े मजबूत होते जा रहे है। कपड़े जैसी फिजूल चीज भी इतनी मजबूत हो सकती है। कि नसरूदीन जैसा ताकतवर आदमी हारे जा रहा है उसके सामने। जो किसी चीज से न हारा था, आज उसे साधारण से कपड़े हराये डालते है। वह अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। लेकिन उसे पता नहीं है कि पूरी ताकत हम उसके खिलाफ लगाते है, जिससे हम भयभीत हो जाते है। जिससे हार जाते है, उससे हम कभी नहीं जीत सकते। ताकत से नहीं जीतना है, अभय से जीतना है, ‘फियरालेसनेस’ से जीतना है। बड़े से बड़ा ताकतवर हार जायेगा। अगर भीतर भय हो तो। ध्‍यान रहे हम दूसरे से कभी नहीं हारते, अपने ही भय से हारते है। कम से कम मानसिक जगत में तो यह पक्‍का है कि दूसरा हमें कभी नहीं हरा सकता,हम हमारा भय ही हराता है। नसरूदीन जितना भयभीत हो रहा है, उतनी ही ताकत लगा रहा है। और वह जितनी ताकत लगा रहा है, उतना भयभीत हुआ जा रहा है। क्‍योंकि कपड़े छूटते ही नहीं। वे मन में बहुत चक्‍कर काट रहे है। तीसरे मकान के भीतर घुसा है। लगता है वह होश में नहीं है। बेहोश है। उसे न दीवालें दिख रही है, न घर के लोग दिखायी पड़ रहे हे। उसे केवल वहीं कोट पगड़ी दिखाई पड़ रही है। मित्र भी खो गया है। बस कपड़े है और वह हे। हालांकि ऊपर से किसी को पता नहीं चलता है। जिस घर में गया, फिर आँख टिक गयीं उसके मित्र के कपड़ों पर। पूछा गया ये कौन है? लेकिन नसरूदीन जैसे बुखार में है। वह होश में नहीं है। दमन करने वाले लोग हमेशा बुखार में जीते है। कभी स्‍वस्‍थ नहीं होते। सप्रेशन जो है, वह मेंटल फिवर है। दमन जो है। वह मानसिक बुखार है। दबा लिया है और बुखार पकड़ा हुआ है। हाथ पैर कांप रहे है उसके। वह अपने हाथ पैर रोकने की बेकार कोशिश कर रहा है। जितना रोकता है वह उतने कांपते जा रहे है। कौन है यह?….यह तो अब उसे खुद भी याद नहीं आ रहा है। कौन है यह, शायद कपड़े है, सिर्फ कपड़े। साफ मालूम पड़ रहा है। कि कपड़े है लेकिन यह कहना नहीं है। लगा जैसे बहुत मुश्‍किल में पड़ गया है। उसे याद नहीं आ रहा कि क्‍या कहना है। फिर बहुत मुश्‍किल से कहां मेरे बचपन का मित्र है, नाम है फला। और रह गये कपड़े, सो कपड़े की तो बात ही नहीं करना है। वे किसी के भी हो, उनकी बात नहीं उठानी है। लेकिन बात उठ गई, जिसकी बात न उठानी हो उसी की बात ज्‍यादा उठती है।
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सेक्स से जुड़े ये 25 बातें नहीं जानते होंगे आप ?


1) मैथुन करते समय स्त्री की यौनि और छाती के अलावा नाक का भीतरी भाग भी फ़ूल जाता है।
2) मानव को यौवन की चरम अवस्था 17-18 वर्ष की आयु में प्राप्त हो जाती है।
3) एक बार के संभोग में पुरुष की 100 केलोरी दहन होती है।
4) करीब एक तिहाई औरतें 80 के बाद भी यौन-क्रिया में संलग्न रहती है।
5) एक बार के संभोग में जो वीर्य स्खलित होता है उसमें 2 से 5 मिलियन शुक्राणु होते हैं।
6) यौन क्रिया की चरम अवस्था (ओर्गास्म) के समय स्त्री-पुरुष दोनों की हृदय की धडकन 140 प्रति मिनिट हो जाती है।
7) स्त्रियां अपनी पूरे संतानोत्पत्ति काल में तीन हजार से भी ज्यादा बार सेक्स करती हैं। 40 वर्ष तक के पुरुषों के लिंग मैथुन के वक्त सिर्फ़ 10 सेकंड में खडे (इरेक्टेड) हो जाते हैं।
9) 41% पुरुष और ज्यादा बार संभोग की इच्छा रखते हैं जबकि केवल 29%
प्रतिशत महिलाएं रजामंद होती हैं। 
10) 15% पुरुष काम के समय ( आन ड्युटी) ही संभोग कर लेते हैं।
11) करीब 75% पुरुष प्रविष्ट करने के बाद तीन मिनिट में स्खलित हो जाते हैं।
12) पांच प्रतिशत युवा प्रतिदिन संभोग करते हैं जबकि 20% सप्ताह में तीन से चार बार सेक्स करते हैं।
13) सेक्स के बाद एक घंटे में शुक्राणु 7 इंच तक आगे बढ़ सकता है।
14) अधिकांश स्त्रिया पुरुष की खूबियों का आकलन करने में लिंग की साईज को नवें पायदान पर रखती हैं जबकि पुरुष लिंग की साईज को ज्यादा महत्व देते हुए तीसरे पायदान पर रखते हैं।
15) यौन विशेषज्ञों का मत है कि सेक्स की मस्तिष्क प्रशांतक शक्ति “वेलियम”
से 5 गुनी अधिक है।
16) टेंशन से मस्तिष्क की रक्त वाहिनिया संकुचित होकर सिर दर्द का कारण बनता है। सेक्स टेंशन को दूर कर सिर दर्द से मुक्ति देता है।
17) एक ड्राईवर पूरे जीवन में औसत 6 बार कार में ही सेक्स का लुत्फ़ लेता है।
18) स्त्री के शरीर में नर शुक्राणु 9 दिन तक जीवित रह सकते हैं।
19) 30% पुरुष शीघ्र पतन की गिरफ़्त में हैं जबकि 10% लोग “तनाव दोष”(इरेक्टाईल डिस्फ़न्क्शन) से पीडित है।
20) 82% महिलाएं अपने साथी के लिंग साईज से पूर्री तरह संतुष्ट हैं।
21) माईग्रेन से पीडित महिलाएं ज्यादा कामुक होती हैं।
22) ज्यादतर महिलाएं अंधेरे में सेक्स करना पसंद करती है।
23) किसी भी अन्य जगह के बजाय मर्द बिस्तर में ज्यादा झूंठ बोलते हैं। 
24) पुरुष अपने सामान्य जीवनकाल में 17 लिटर वीर्य स्खलित करता है।
25) सेक्स सक्रिय लोग संयम से रहने वले लोगों की बनिस्बत ज्यादा उम्र जीते हैं।
26) स्त्री की भगनासा मे पुरुष के लिंग की तुलना में दो गुने नाडी तंतु रहते हैं। भगनासा सहलाने से स्त्री तुरंत उत्तेजितहो जाती है
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सिर्फ लड़कियो के लिये ये पोस्ट, लड़के दुर रहे


प्रिय महिला मित्रो आप की एक अनजानी गलती आपकी जिंदगी नर्क बना सकती है
आज के दौर मे जो भी मोबाइल क्लीप ब्लु फिल्म एम एम एस आप देखती है
उस जगह आप भी हो सकती है जानिये कैसे
आप को जो भी करना है आप करो यार दोस्त बनावो उनके साथ सब कुछ करो मगर कभी भी कोई फोटो या विडियो ना बनावावो ना बनने दो आपका एक मिनट का बिरोध जो की थोड़ी देर के लिये बुरा तो लग सकता है आपके दोस्त को मगर आपकी जींदगी बचा सकता है 
मै मानती हु की आपके दोस्त अच्छे है और वो ऐसा कभी भी नही सोचते है और ना ही करेँगे लेकीन जब आप उन पलो को कैमरे मे कैद हो जाने देँगी फिर क्या होगा 
जब उनका मोबाइल चोरी हो जायेगा 
या आपका भरोसा उन पर है ना की उनके दोस्तो पर 
अगर उनका कोई दोस्त किसी बहाने से उनका फोन ले लेता है और वो क्लीप ब्लुटुथ के माध्यम से ले ले फिर क्या होगा
आपको पुरी दुनिया नही जानती है लेकीन एक हजार लोग तो होँगे ही जो आप को पहचानते है अगर किसी एक के भी हाथ लग गयी वो क्लिप तो आप सोचो क्या होगा
भगवान ना करे अगर कभी आपका रिश्ता उनसे खत्म होता है तो आप ब्लैकमेल का शिकार हो सकती है ये जितनी विडियो आप देखती है ऐसे ही बनी है कोई अपना विडियो जान के नही डालता है
अब अगर मान लीजिये की उनकी मेमोरी पासवर्ड प्रोटक्टेड है तो बाजार मे सिर्फ 20 रूपये मे मेमोरी अनलाक हो जाती है 
फिर आपकी विडियो किस किस के हाथ लगेगी वो क्या करेगा ये आप भी नही जानती है और ना ही आपके दोस्त समझदारी मे ही सुरछा है आपकी इज्जत आपके हाथ है याद रखे लड़को का कुछ नही जाता है हर हाल मे नुकसान आपका ही होना है.
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